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Ipc धारा २३० : सिक्का की परिभाषा :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
अध्याय १२ :
सिक्कों और सरकारी स्टाम्पों ( मुद्रापत्र / मुद्रांकित पत्र ) से संबंधित अपराधों के विषय में :
धारा २३० :
सिक्का की परिभाषा :
(See section 178 of BNS 2023)
१.(सिक्का, तत्समय धन के रुप में उपयोग में लाई जा रही और इस प्रकार उपयोग में लाए जाने के लिए किसी राज्य या संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न शक्ति के प्राधिकार द्वारा, स्टांपित (मुद्रांकित) और प्रचालित धातु है ।)
भारतीय सिक्का :
२.(भारतीय सिक्का धन के रुप में उपयोग में लाए जाने के लिए भारत सरकार के प्राधिकार द्वारा स्टांपित (मुद्रांकित ) और प्रचालित धातु है ; और इस प्रकार स्टांपित और प्रचालित धातू इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए भारतीय सिक्का बनी रहेगी, यद्यपि धन के रुप में उसका उपयोग में लाया जाना बंद हो गया हो ।)
दृष्टांत :
क) कौडियां सिक्के नहीं है ।
ख) अस्टाम्पित तांबे के टुकडे, यद्यपि धन के रुप में उपयोग में लाए जाते है, सिक्के नहंीं है ।
ग) पदक सिक्के नहीं है, क्योंकि वे धन के रुप में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित नहीं है ।
घ) जिस सिक्के का नाम कम्पनी रुपया है, वह ३.(भारतीय सिक्का) है ।
४.(ङ) फरुखाबाद रुपया जो धन के रुप में भारत सरकार के प्राधिकार के अधीन पहले कभी उपयोग में लाया जाता था, ५.(भारतीय सिक्का) है, यद्यपि वह अब इस प्रकार उपयोग में नहीं लाया जाता है ।)
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१. १८७२ के अधिनियम सं० १९ की धारा १ द्वारा प्रथम मूल पैरा के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा पूर्ववर्ती पैरा के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा क्वीन का सिक्का के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
४. १८९६ के अधिनियम सं० ६ की धारा १(२) द्वारा जोडा गया ।
५. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा क्वीन के सिक्के के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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