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Ipc धारा १८२ : १.(लोक सेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दुसरे व्यक्ति को क्षति (नुकसान) करने के लिए करे, इस आशय से मिथ्या इत्तिला देना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १८२ :
१.(लोक सेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दुसरे व्यक्ति को क्षति (नुकसान) करने के लिए करे, इस आशय से मिथ्या इत्तिला देना :
(See section 217 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी लोक सेवक को इस आशय से मिथ्या इत्तिला देना कि वह अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति को क्षति या क्षोभ करने के लिए करे ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी लोक सेवक को कोई, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है ऐसी इत्तिला, इस आशय से देगा की वह उस लोक सेवक को प्रेरित करे या यह संभाव्य जानते हुए देगा कि वह उसको एतद्द्वारा प्रेरित करेगा कि वह लोक सेवक –
क) कोई ऐसी बात करे या करने का लोप (त्रुटी) करे जिसे वह लोक सेवक, यदि उसे उस संबंध में, जिसके बारे में ऐसी इत्तिला दी गई है, तथ्यों की सही स्थिति का पता होता तो न करता या करने का लोप न करता, अथवा
ख)ऐसे लोक सेवक की विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग करे जिस उपयोग से किसी व्यक्ति को क्षति या क्षोभ हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
दृष्टांत :
क) (क) एक मजिस्ट्रेट को यह इत्तिला देता है कि (य) एक पुलिस आफिसर, जो ऐसे मजिस्ट्रेट का अधीनस्थ है, कर्तव्य पालन में उपेक्षा या अवचार का दोषी है, यह जानते हुए देता है कि ऐसी इत्तिला मिथ्या है, और सम्भाव्य है कि उस इत्तिला से वह मजिस्ट्रेट (य) को पदच्युत कर देगा । (क) ने इस धारा परिभाषित अपराध किया है ।
ख) (क) एक लोक सेवक को यह मिथ्या इत्तिला देता है कि (य) के पास गुप्त स्थान में विनिषिद्ध नमक है । वह इत्तिला यह जानते हुए देता है कि ऐसी इत्तिला मिथ्या है, और यह जानते हुए देता है कि यह सम्भाव्य है कि उस इत्तिला के परिणामस्वरुप (य) के परिसर की तलाशी ली जाएगी, जिससे (य) को क्षोभ होगा । (क) ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है ।
ग) एक पुलिसजन को (क) यह मिथ्या इत्तिला देता है कि एक विशिष्ट ग्राम के पास उस पर हमला किया गया है और उसे लूट लिया गया है । वह अपने पर हमलावर के रुप में किसी व्यक्ति का नाम नहीं लेता । किन्तु वह यह जानता है कि यह संभाव्य है कि इस इत्तिला के परिणामस्वरुप पुलिस उस ग्राम में जांच करेगी और तलाशियां लेगी, जिससे ग्रामयासियों या उनमें से कुछ को क्षोभ होगा । (क) ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है ।)
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१. १८९५ के अधिनियम सं० ३ की धारा १ द्वारा मूल धारा १८२ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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