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Ipc धारा १७६ : सूचना या इत्तिला देने के लिए वैध रुप से आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का लोप (त्रुटी) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १७६ :
सूचना या इत्तिला देने के लिए वैध रुप से आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को सूचना या इत्तिला देने का लोप (त्रुटी) :
(See section 211 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : सूचना या इत्तिला देने के लिए वैध रुप से आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को ऐसी सूचना या इत्तिला देने का साशय लोप ।
दण्ड :एक मास के लिए सादा कारावास, या पाँच सो रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : यदि अपेक्षित सूचना या इत्तिला अपराध किए जाने आदि के विषय में है ।
दण्ड :छह मास के लिए सादा कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : यदि सूचना या इत्तिला दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा ३५६ की उपधारा (१) के अधीन दिए गए आदेश द्वारा अपेक्षित है ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी लोक सेवक को, ऐसे लोक सेवक के नाते किसी विषय पर कोई सूचना देने या इत्तिला देने के लिए वैध रुप से आबद्ध(बंधा हुआ) होते हुए, विधि द्वारा अपेक्षित प्रकार से और समय पर ऐसी सुचना या इत्तिला देने का साशय लोप करेगा, वह सादा कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पाँच सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा ;
अथवा यदि दी जाने के लिए अपेक्षित सूचना या इत्तिला किसी अपराध के किए जाने के विषय में हो, या किसी अपराध के किए जाने का निवारण (रोकना) के प्रयोजन से या किसी अपराधी को पकडने के लिए अपेक्षित हो, तो वह सादा कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा;
१.(अथवा यदि दी जाने के लिए अपेक्षित सूचना या इत्तिला दण्ड प्रक्रिया संहिता, १८९८ (१८९८ का ५) की धारा ५६५ (दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा ३५६) की उपधारा (१) के अधीन दिए गए आदेश द्वारा अपेक्षित है, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से,) दण्डित किया जाएगा ।
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१. १९३९ के अधिनियम सं० २२ की धारा २ द्वारा जोडा गया ।

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