भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४७१ :
कूटरचित १.(दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख) का असली के रुप में उपयोग में लाना :
(See section 340(2) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कूटरचित दस्तावेज को, जिसके बारे में ज्ञात है कि वह कूटरचित है, असली के रुप में उपयोग में लाना ।
दण्ड :ऐसी दस्तावेज की कूटरचना के लिए दण्ड ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट (राज्य संशोधन, मध्यप्रदेश : सेशन न्यायालय) ।
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अपराध : जब कूटरचित दस्तावेज केन्द्रीय सरकार का वचनपत्र है ।
दण्ड :ऐसी दस्तावेज की कूटरचना के लिए दण्ड ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट (राज्य संशोधन, मध्यप्रदेश : सेशन न्यायालय) ।
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जो कोई किसी ऐसी १.(दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख) को, जिसके बारे में वह यह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि वह कूटरचित १.(दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख) है, कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रुप में उपयोग में लाएगा, वह उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा, मानो उसने ऐसी १.(दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेक) की कूटरचना की हो ।
राज्य संशोधन :
मध्यप्रदेश :
धारा ४७१ के अधीन अपराध सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है ।
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१. २००० के अधिनियम सं० २१ की धारा ९१ और अनुसूची १ द्वारा प्रतिस्थापित ।