भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २७६ :
औषधि का भिन्न औषधि या निर्मिती के तौर पर विक्रय :
(See section 278 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी ओषधि या भेषजीय निर्मिति को भिन्न ओषधि या भेषजीय निर्मिति के रुप में, जानते हुए, बेचना या ओषधालय से देना ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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राज्य संशोधन :
उत्तरप्रदेश :
अपराध : किसी ओषधि या भेषजीय निर्मिति को भिन्न ओषधि या भेषजीय निर्मिति के रुप में, जानते हुए, बेचना या ओषधालय से देना ।
दण्ड :जुर्माना सहित या रहित आजीवन कारावास ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी औषधि या भेषजीय (चिकित्सीय / आयुर्विज्ञान/ औषधिय) निर्मिति को, भिन्न औषधि या भेषजीय (चिकित्सीय / आयुर्विज्ञान/ औषधिय) निर्मिति की तौर पर यह जानते हुए बेचेगा या बेचने की प्रस्थापना करेगा या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा या औषधीय प्रयोजनों के लिए औषधालय से देगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।
राज्य संशोधन :
उत्तरप्रदेश : धाराओं २७२, २७३, २७४, २७५ और २७६ में शब्दों वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि ६ माह तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डित किया जाएगा के स्थान पर अग्रलिखित प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात –
आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा :
परन्तु यह कि पर्याप्त कारणों से जिनका उल्लेख निर्णय में किया जाएगा, न्यायालय ऐसे कारावास का दण्डादेश अधिरोपित कर सकेगा, जो कि आजीवन कारावास से कम हो ।