Ipc धारा १९९ : ऐसी घोषणा में किया गया मिथ्या कथन, जो साक्ष्य के रुप में विधि द्वारा ली जा सके :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १९९ :
ऐसी घोषणा में किया गया मिथ्या कथन, जो साक्ष्य के रुप में विधि द्वारा ली जा सके :
(See section 236 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : ऐसी घोषणा में, जो साक्ष्य के रुप में विधि द्वारा ली जा सके, किया गया मिथ्या कथन ।
दण्ड :वही जो मिथ्या साक्ष्य देने या गढने के लिए है ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :वह न्यायालय जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष देने का अपराध विचारणीय है ।
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जो कोई अपने द्वारा की गई या हस्ताक्षरित किसी घोषणा में, जिसको किसी तथ्य के साक्ष्य के रुप में लेने के लिए कोई न्यायालय, या कोई लोक सेवक या अन्य व्यक्ति विधि द्वारा आबद्ध (बंधा हुआ) या प्राधिकृत हो को ऐसा कथन करेगा, जो किसी ऐसी बात के संबंध में, जो उस उद्देश्य के लिए तात्विक हो जिसके लिए वह घोषणा की जाए या उपयोग में लाई जाए, जो मिथ्या है, और जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है, या जिसके सत्य होने का विश्वास नही है, वह उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा, जैसे मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो ।

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