Ipc धारा १८७ : लोक सेवक की सहायता करने का लोप (त्रुटी), जबकि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध (बंधा हुआ) हो :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १८७ :
लोक सेवक की सहायता करने का लोप (त्रुटी), जबकि सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध (बंधा हुआ) हो :
(See section 222 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक सेवक की सहायता करने का लोप जब ऐसी सहायता देने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो ।
दण्ड :एक मास के लिए सादा कारावास, या दौ सौ रुपये का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : ऐसे लोक सेवक की, जो आदेशिका के निष्पादन अपराधों के निवारण आदि के लिए सहायता मांगता है, सहायता देने में जानबूझकर उपेक्षा करना ।
दण्ड :छह मास के लिए सादा कारावास, या पाँच सौ रुपये का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी लोक सेवक को, उसके लोक कर्तव्य के निष्पादन (पालन) में सहायता देने या पहुँचाने के लिए विधि द्वार आबद्ध (बंधा हुआ) होते हुए, ऐसी सहायता देने का साशय लोप करेगा, वह सादा कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दौ सौ रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
और यदि ऐसी सहायता की मांग उससे ऐसे लोक सेवक द्वारा, जो ऐसी मांग करने के लिए वैध रुप से सक्षम हो, न्यायालय द्वारा वैध रुप से निकाली गई किसी आदेशिका का निष्पादन (पालन), के या अपराध के किए जाने का निवारण करने के, या बल्वे (दंगा / उपद्रव) या दंगे को दबाने के, या ऐसे व्यक्ती को पकडने के प्रयोजनों से की जाए, जिस पर अपराध का आरोप है या जो अपराध का या विधिपूर्ण अभिरक्षा से निकल भागने का दोषी है, तो वह सादा कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पॉंच सौ रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

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