भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १३६ :
अभित्याजक (संपरित्यागी / छोडकर भागा हुआ / पलायन फरारी ) को संश्रय(आश्रय) देना :
(See section 164 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : ऐसे आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को, जिसने अभित्यजन किया है, संश्रय देना ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय / अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट
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जो कोई सिवाय एतस्मिन् पश्चात यथा अपवादित के यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि १.(भारत सरकार) की सेना, २.(नौसेना या वायुसेना) के किसी ऑफिसर, सैनिक,३.(नौसैनिक या वायुसैनिक) ने अभित्यजन किया है, ऐस ऑफिसर, सैनिक, ३.(नौसैनिक या वायुसैनिक) को संश्रय देगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।
अपवाद :
इस उपबंध का विस्तार उस मामले पर नहीं है, जिसमें पत्नी द्वारा अपने पति को संश्रय दिया जाता है ।
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१. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा क्वीन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९२७ के अधिनियम सं० १० की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा या नौसेना के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. १९२७ के अधिनियम सं० १० की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा या नौसैनिक के स्थान पर प्रतिस्थापित ।