भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १२८ :
लोकसेवक द्वारा या लोकसेवक का स्वेच्छया राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देना :
(See section 156 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोकसेवक का स्वेच्छया राजकैददी या युद्ध कैदी को अपनी अभिरक्षा में से निकल भागने देना ।
दण्ड :आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय
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जो कोई लोकसेवक होते हुए और किसी राजकैदी को अभिरक्षा में रखते हुए, स्वेच्छया ऐसे कैदी को किसी ऐसे स्थान से जिसमें ऐसे कैदी परिरुद्ध है, निकल भागने देगा, वह १.(आजीवन कारावास) से या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने सेभी दण्डनीय होगा ।
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१.१९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।