अनुच्छेद ३६७ : निर्वचन ।
भारत का संविधान :
अनुच्छेद ३६७ :
निर्वचन ।
१) जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इस संविधान के निर्वचन के लिए साधारण खंड अधिनियम, १८९७, ऐसे अनुकूलनों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए, जो अनुच्छेद ३७२ के अधीन उसमें किए जाएं, वैसे ही लागू होगा जैसे वह भारत डोमिनियन के विधान-मंडल के किसी अधिनियम के निर्वचन के लिए लागू होता है ।
२)इस संविधान में संसद् के या उसके द्वारा बनाए गए अधिनियमों या विधियों के प्रति किसी निर्देश का अथवा १.(*) किसी राज्य के विधान-मंडल के या उसके द्वारा बनाए गए अधिनियमों या विधियों के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत, यथास्थिति, राष्ट्रपति द्वारा निर्मित अध्यादेश या किसी राज्यपाल २.(*) द्वारा निर्मित अध्यादेश के प्रति निर्देश है ।
३)इस संविधान के प्रयोजनों के लिए विदेशी राज्य से भारत से भिन्न कोई राज्य अभिप्रेत है :
परंतु संसद् द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राष्ट्रपति आदेश३.() द्वारा यह घोषणा कर सकेगा कि कोई राज्य उन प्रयोजनों के लिए, जो उस आदेश में विनिर्दिष्ट किए जाएं विदेशी राज्य नहीं हैं ।
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१.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा पहली अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट शब्दों और अक्षरों का लोप किया गया ।
२.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा या राजप्रमुख शब्दों का लोप किया गया ।
३.संविधान (विदेशी राज्यों के बारे में घोषणा ) आदेश, १९५० (सं.आ. २) देखिए ।
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