Hsa act 1956 धारा १७ : मरुमक्कत्तायम और अलियसन्तान विधियों द्वारा शासित व्यक्तियों के विषय में विशेष उपबन्ध :

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम १९५६
धारा १७ :
मरुमक्कत्तायम और अलियसन्तान विधियों द्वारा शासित व्यक्तियों के विषय में विशेष उपबन्ध :
धाराओं ८, १०, १५ और २३ के उपबन्ध उन व्यक्तियों के सम्बन्ध में जो यदि यह अधिनियम पारित न किया गया होता तो मरुमक्कत्तायम विधि या अलियसन्तान विधि द्वारा शासित होते, ऐसे प्रभावशील होंगे मानो :-
(एक) धारा ८ के उपखण्डों (ग) और (घ) के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित कर दिया गया हो, अर्थात :-
(c)(ग) तृतीयत:, यदि दोनों वर्गों में किसी का कोई वारिस न हो तो उसके सम्बन्धियों को चाहे वे गोत्रज हों या बन्धु हों।;
(दो) धारा १५ की उपधारा (१) के खण्ड (क) से लेकर (ङ) तक के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित कर दिया गया हो, अर्थात :
(a)(क) प्रथमत:, पुत्रों और पुत्रियों को (जिनके अंतर्गत किसी पूर्व मृत पुत्र या पुत्री के अपत्य भी आते हैं) और माता को;
(b)(ख) द्वितीयत:, पिता और पति को;
(c)(ग) तृतीयतः, माता के वारिसों को;
(d)(घ) चतुर्थत:, पिता के वारिसों को; तथा
(e)(ङ) अन्तत:, पति के वारिसों को।
(तीन) धारा १५ की उपधारा (२) का खण्ड (क) लुप्त कर दिया गया हो;
(चार) धारा २३ लुप्त कर दी गई हो।

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