हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम १९५६
धारा १६ :
हिन्दू नारी के वारिसों में उत्तराधिकार का क्रम और वितरण की रीति :
धारा १५ में निर्दिष्ट वारिसों में उत्तराधिकार का क्रम और उन वारिसों में निर्वसीयत की संपत्ति का वितरण निम्नलिखित नियमों के अनुसार होगा, अर्थात :-
नियम १ :
धारा १५ की उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट वारिसों में से पहली प्रविष्टि में के वारिसों को किसी उत्तरवर्ती प्रविष्टि में के वारिसों की तुलना में अधिमान प्राप्त होगा और जो वारिस एक ही प्रविष्टि के अंतर्गत हो, वे साथ-साथ अंशभागी होंगे।
नियम २ :
यदि निर्वसीयत का कोई पुत्र या अपने ही कोई अपत्य निर्वसीयत की मृत्यु के समय जीवित छोडक़र निर्वसीयत से पूर्व मर जाए तो ऐसे पुत्र या पुत्री के अपत्य परस्पर वह अंश लेंगे जिसे वह लेती यदि निर्वसीयत की मृत्यु के समय ऐसा पुत्र या पुत्री जीवित होती।
नियम ३ :
धारा १५ की उपधारा (१) के खण्ड (ख), (घ) और (ङ) में और उपधारा (२) में निर्दिष्ट वारिसों को निर्वसीयत की सम्पत्ति उसी क्रम में और उन्हीं नियमों के अनुसार न्यागत होगी जो लागू होते यदि सम्पत्ति, यथास्थिति, पिता की या माता की या पति की होती और वह व्यक्ति निर्वसीयत की मृत्यु के अव्यवहित पश्चात उस सम्पत्ति के बारे में वसीयत किए बिना मर गया होता।