हिन्दू विवाह अधिनियम १९५५
अधिकारिता और प्रक्रिया :
धारा १९ :
१.(वह न्यायालय जिसमें अर्जी उपस्थापित की जाएगी :
इस अधिनियम के अधीन हर अर्जी उस जिला न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी जिसकी मामूली आरंभिक सिविल अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के अन्दर –
(एक) विवाह का अनुष्ठान हुआ था; या
(दो) प्रत्यर्थी, अर्जी के पेश किए जाने के समय, निवास करता है; या
(तीन) विवाह के पक्षकारों ने अंतिम बार एक साथ निवास किया था; या
२.(तीन-क) यदि पत्नी अर्जीदार है तो जहां वह अर्जी पेश किए जाने के समय निवास कर रही है, या )
(चार) अर्जीदार के अर्जी पेश किए जाने के समय निवास कर रहा है, यह ऐसे मामले में, जिसमें प्रत्यर्थी उस समय ऐसे राज्यक्षेत्र के बाहर निवास कर रहा है जिस पर इस अधिनियम का विस्तार है अथवा वह जीवित है या नहीं इसके बारे में सात वर्ष या उस से अधिक की कालावधि के भीतर उन्होंने कुछ नहीं सुना है, जिन्होंने उसके बारे, में, यदि वह जीवित होता तो, स्वभाविकतया सुना होता।)
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१. १९७६ के अधिनियम सं० ६८ की धारा १२ द्वारा धारा १९ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. २००३ के अधिनियम सं० ५० की धारा ४ द्वारा अंतःस्थापित ।