खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम २००६
धारा ६५ :
उपभोक्ता की क्षति या मृत्यु की दशा में प्रतिकर :
१) इस अध्याय के अन्य उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि कोई व्यक्ति चाहे वह स्वयं या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ऐसी किसी खाद्य वस्तु का विनिर्माण या विक्रय या आयात करता है जिससे किसी उपभोक्ता को क्षति पहुंचती है या उसकी मृत्यु हो जाती है तो, यथास्थिति, न्यायनिर्णायक अधिकारी या न्यायालय के लिए विधिपूर्ण होगा कि वह उसको, पीडित या पीडित के विधिक प्रतिनिधि को निम्नलिखित प्रतिकर का संदाय करने का निदेश दे, –
(a) क) मृत्यु की दशा में कम से कम पांच लाख रुपए;
(b) ख) घोर क्षति की दशा में, तीन लाख रुपए से अनधिक की राशि; और
(c) ग) क्षति की अन्य सभी दशाओं में, एक लाख रुपए से अनधिक की राशि :
परंतु प्रतिकर का संदाय शीघ्रतम किया जाएगा और हर दशा में घटना के घटित होने की तारीख से छह मास के भीतर किया जाएगा:
परंतु यह और कि मृत्यु की दशा में, मृतक के निकटतम संबंधी को घटना के तीस दिन के भीतर अंतरिम अनुतोष का संदाय किया जाएगा।
२) जहां किसी व्यक्ति को घोर क्षति या मृत्यु कारित करने वाले अपराध का दोषी अभिनिर्धारित किया गया है, वहां न्यायनिर्णायक अधिकारी या न्यायालय दोषी अभिनिर्धारित व्यक्ति के नाम और निवास स्थान, अपराध और अधिरोपित शास्ति को अपराधी के खर्चे पर, ऐसे समाचारपत्रों या ऐसी अन्य रीति से जो न्यायनिर्णायक अधिकारी या न्यायालय निदेश दे, प्रकाशित कराएगा और ऐसे प्रकाशन के खर्चे दोषसिद्धि के खर्चे का भाग समझे जाएंगे और जुर्माने के रूप में उसी रीति से वसूलनीय होंगे।
३) न्यायनिर्णायक अधिकारी या न्यायालय, –
(a) क) अनुज्ञप्ति के रद्दकरण, बाजार से खाद्य को वापस लेने, उपभोक्ता की घोर क्षति या उसकी मृत्यु की दशा में स्थापन और संपत्ति के समपहरण के लिए भी आदेश कर सकेगा;
(b) ख) अन्य मामलों में प्रतिषेध आदेश जारी कर सकेगा।
