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Fssai धारा १८ : अधिनियम के प्रशासन में अनुसरित किए जाने वाले साधारण सिद्धांत :

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम २००६
अध्याय ३ :
खाद्य सुरक्षा के साधारण सिद्धांत :
धारा १८ :
अधिनियम के प्रशासन में अनुसरित किए जाने वाले साधारण सिद्धांत :
१) यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकारें, खाद्य प्राधिकरण और अन्य अभिकरण, इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करते समय, निम्नलिखित सिद्धांतों द्वारा मार्गदर्शित होंगे, अर्थात् :-
(a) क) मानव जीवन और स्वास्थ्य के संरक्षण और खाद्य सुरक्षा मानकों और पद्धतियों के संदर्भ में सभी किस्म के खाद्य व्यापार में उचित व्यवहारों सहित उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के समुचित स्तर को प्राप्त करने का प्रयास करना;
(b) ख) जोखिम प्रबंध करना जिसके अंतर्गत, विनियमों के साधारण उद्देश्यों को प्राप्त करने की दृष्टि से जोखिम निर्धारण के परिणामों और ऐसे अन्य कारकों को गणना में लेना भी है, जो खाद्य प्राधिकरण की राय में विचाराधीन विषय के लिए सुसंगत हैं और जहां परिस्थितियां सुसंगत हैं;
(c) ग) जहां किन्हीं विनिर्दिष्ट परिस्थितियों में, उपलब्ध सूचना के निर्धारण के आधार पर स्वास्थ्य पर हानिप्रद प्रभाव की अधिसंभाव्यता की पहचान की जाती है किन्तु वैज्ञानिक अनिश्चितता बनी रहती है, वहां अधिक व्यापक जोखिम निर्धारण के लिए अतिरिक्ति वैज्ञानिक जानकारी के प्राप्त होने तक स्वास्थ्य सुरक्षा के समुचित स्तर सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक जोखिम प्रबंधन उपाय अंगीकार किए जा सकेंगे।
(d) घ) खंड (c) (ग) के आधार पर अंगीकार किए गए उपाय आनुपातिक होंगे और स्वास्थ्य सुरक्षा के समुचित स्तर प्राप्त करने हेतु व्यापार के लिए जितना अपेक्षित है उससे अधिक अवरोधक नहीं होंगे, विचाराधीन विषय में तकनीकी और आर्थिक साध्यता को और अन्य युक्तियुक्त और उचित समझे गए कारकों को ध्यान में रखा जाएगा;
(e) ङ) अंगीकृत उपायों का उचित समय अवधि के भीतर पुनर्विलोकन किया जाएगा, जो पहचान की गई जीवन या स्वास्थ्य की जोखिम की प्रकृति और वैज्ञानिक अनिश्चितता को स्पष्ट करने के लिए और कोई अधिक व्यापक जोखिम निर्धारण करने के लिए आवश्यक वैज्ञानिक प्रकार की जानकारी पर आधारित होगा;
(f) च) ऐसी दशाओं में, जहां यह संदेह करने के लिए युक्तियुक्त आधार हैं कि कोई खाद्य मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम उत्पन्न कर सकता है, तब उस जोखिम की प्रकृति, गंभीरता और सीमा पर निर्भर करते हुए, खाद्य प्राधिकरण और खाद्य सुरक्षा आयुक्त, खाद्य की या ऐसे किस्म के खाद्य की संभावित पूरी सीमा तक पहचान करते हुए स्वास्थ्य के लिए जोखिम की प्रकृति, वह जोखिम जो उत्पन्न होता है और उस जोखिम को रोकने, कम करने या दूर करने के लिए किए गए या किए जाने वाले उपायों को साधारण जनता को सूचित करने के लिए समुचित कार्रवाई करेंगे;
(g) छ) जहां कोई खाद्य, जो खाद्य सुरक्षा की अपेक्षाओं का पालन करने में असफल रहता है, उसी वर्ग या विवरण के खाद्य के बैच, लॉट या पारेषण का भाग है, वहां जब तक कि उसके विपरीत साबित नहीं कर दिया जाता है, यह उपधारणा की जाएगी कि उस बैच, लॉट या पारेषण का संपूर्ण खाद्य उन अपेक्षाओं का पालन करने में असफल रहा है।
२) खाद्य प्राधिकरण इस अधिनियम के अधीन विनियम बनाते समय या मानक विनिर्दिष्ट करते समय-
(a) क) निम्नलिखित को ध्यान में रखेगा-
एक) देश में प्रचलित प्रथाएं और परिस्थितियां, जिनके अंतर्गत कृषि संबंधी व्यवहार तथा उठाई-धराई, भंडारण और परिवहन दशाएं भी हैं; और
दो) अंतरराष्ट्रीय मानक और पद्धतियां जहां अंतरराष्ट्रीय मानक या पद्धतियां विद्यमान हैं या विरचित किए जाने की प्रक्रिया में हैं,
जब तक कि उसकी यह राय न हो कि ऐसी प्रचलित प्रथाओं और परिस्थितियों या अंतरराष्ट्रीय मानकों वा पद्धतियों या उनके किसी विशिष्ट भाग को ध्यान में रखना प्रभावी नहीं होगा या ऐसे विनियमों के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए समुचित साधन नहीं होगा या जहां कोई वैज्ञानिक न्यायोचित्य है या जहां उसके देश में समुचित रूप में अवधारित संरक्षण के स्तर से भिन्न परिणाम हैं;
(b) ख) जोखिम विश्लेषण के आधार पर खाद्य मानक अवधारित करेगा, सिवाय वहां के जहां उसकी यह राय है कि उस मामले की परिस्थितियों या प्रकृति में ऐसा विश्लेषण उचित नहीं है;
(c) ग) उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्य पर आधारित और किसी स्वतंत्र, वस्तुनिष्ठ और पारदर्शी रीति से जोखिम का निर्धारण करेगा;
(d) घ) यह सुनिश्चित करेगा कि विनियमों को तैयार करने, उनके मूल्यांकन और पुनरीक्षण के दौरान प्रत्यक्षतः वा पंचायतों के सभी स्तरों सहित प्रतिनिधि निकायों के माध्यम से खुला और पारदर्शी लोक परामर्श है, सिवाय वहां के जहां उसकी यह राय है कि खाद्य सुरक्षा या लोक स्वास्थ्य के संबंध में विनियम को बनाने या उनमें संशोधन करने की अत्यावश्यकता है और ऐसे मामले में ऐसे परामर्श से छूट दी जा सकेगी :
परन्तु ऐसे विनियम छह मास से अधिक के लिए प्रवृत्त नहीं रहेंगे;
(e) ङ) उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करेगा और वे उपभोक्ताओं को उन खाद्यों के संबंध में, जिनका वे उपभोग करते हैं, अवगत चयन करने के लिए आधार उपलब्ध करेगा;
(f) च) निम्नलिखित का निवारण सुनिश्चित करेगा-
एक) कपटपूर्ण, प्रबंचक या अनुचित व्यापारिक व्यवहार जो उपभोक्ता को भ्रमित कर सके या हानि पहुंचा सके; और
दो) असुरक्षित या संदूषित या अवमानक खाद्य ।
३) इस अधिनियम के उपबंध किसी कृषक या मछुआरे या कृषि संक्रियाओं या फसलों या पशुधन या जलकृषि और कृषि में प्रयुक्त या उत्पादित प्रदायों या किसी कृषक फार्म या किसी मछुआरे द्वारा अपनी संक्रियाओं में उत्पादित उत्पादों को लागू नहीं होंगे।

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