Site icon Ajinkya Innovations

Dpa 1961 धारा ८ख : १.(दहेज प्रतिषेध अधिकारी :

दहेज प्रतिषेध अधिनियम १९६१
धारा ८ख :
१.(दहेज प्रतिषेध अधिकारी :
(१) राज्य सरकार उतने दहेज प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त कर सकेगी जितने वह ठीक समझे और वे क्षेत्र निर्दिष्ट कर सकेगी जिनकी बाबत वे अपनी अधिकारिता और शकिायों का प्रयोग इस अधिनियम के अधीन करेंगे।
(२) प्रत्येक दहेज प्रतिषेध अधिकारी निम्नलिखित शक्तियों का प्रयोग और कृत्यों का पालन करेगा, अर्थात:-
(a)(क) यह देखना कि इस अधिनियम के उपबंधों का अनुपालन किया जाता है;
(b)(ख) दहेज देने या दहेज लेने को दुष्प्रेरित करने या दहेज मांगने को यथासंभव रोकना;
(c)(ग) इस अधिनियम के अधीन अपराध करने वाले व्यक्तियों के अभियोजन के लिए ऐसा साक्ष्य एकत्र करना जो आवश्यक हो; और
(d)(घ) ऐसे अतिरिक्त कार्य करना जो राज्य सरकार द्वारा उसे सौंपे जाएं या इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों में विनिर्दिष्ट किए जाएं।
(३) राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा दहेज प्रतिषेध अधिकारी को किसी पुलिस अधिकारी की ऐसी शक्तियां प्रदत्त कर सकेगी जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाएं और वह ऐसी शक्तियों का प्रयोग ऐसी परिसीमाओं और शर्तों के अधीन रहते हुए करेगा जो इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विनिर्दिष्ट की जाएं।
(४) राज्य सरकार दहेज प्रतिषेध अधिकारी को इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के दक्ष पालन में सलाह देने और सहायता करने के प्रयोजन के लिए, एक सलाहकार बोर्ड नियुक्त कर सकेगी जिसमें उस क्षेत्र से, जिसकी बाबत ऐसा दहेज प्रतिषेध अधिकारी उपधारा (१) के अधीन अधिकारियों का प्रयोग करता है, पांच से अनधिक समाज कल्याण कार्यकर्ता होंगे (जिनमें से कम से कम दो महिलाएं होंगी)।)
———
१.१९८६ के अधिनियम सं० ४३ की धारा ८ द्वारा (१९-११-१९८६ से) अन्त:स्थापित ।

Exit mobile version