Dpa 1961 धारा ९ : नियम बनाने की शक्ति :

दहेज प्रतिषेध अधिनियम १९६१
धारा ९ :
नियम बनाने की शक्ति :
(१) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, राजपत्र अधिसूचना द्वारा बना सकती है।
१.(२) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित के लिए उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात:-
(a)(क) वह प्ररूप जिसमें और वह रीति जिससे और ऐसे व्यक्ति जिनके द्वारा धारा ३ की उपधारा (२) में निर्दिष्ट भेंटों की कोई सूची रखी जाएगी और उनसे संबंधित सभी अन्य विषय, और
(b)(ख) इस अधिनियम के प्रशासन की बाबत नीति और कार्रवाई का बेहतर समन्वय।)
२.(३)) इस धारा के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष जब वह सत्र में हो, तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। ३.(यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व ) दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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१.१९८४ के अधिनियम सं० ६३ की धारा ८ द्वारा (२-१०-१९८५ से) अन्तःस्थापित।
२.१९८४ के अधिनियम सं०६३ की धारा ८ द्वारा (२-१०-१९८५ से) पुन:संख्यांकित ।
३.१९८३ के अधिनियम सं० २० की धारा २ और अनुसूची द्वारा (१५-३-१९८४ से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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