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Constitution अनुच्छेद ३७६ : उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बारे में उपबंध ।

भारत का संविधान
अनुच्छेद ३७६ :
उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बारे में उपबंध ।
१) अनुच्छेद २१७ के खंड (२) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले किसी प्रांत के उच्च न्यायालय के पद धारण करने वाले न्यायाधीश, यदि वे अन्यथा निर्वाचन न कर चुके हों तो, ऐसे प्रारंभ पर तत्स्थानी राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हो जाएंगे और तब ऐसे वेतन और भत्तों तथा अनुपस्थिति छुट्टी और पेंशन के संबंध में ऐसे अधिकारों के हकदार होंगे जो ऐसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के संबंध में अनुच्छेद २२१ के अधीन उपबंधित हैं। १.(ऐसा न्यायाधीश इस बात के होते हुए भी कि वह भारत का नागरिक नहीं है, ऐसे उच्च न्यायालय को मुख्य न्यायमूर्ति अथवा किसी अन्य उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति या अन्य न्यायाधीश नियुक्त होने का पात्र होगा । )
२)इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले पहली अनुसूची के भाग ख में विनिर्दिष्ट किसी राज्य के तत्स्थानी किसी देशी राज्य के उच्च न्यायालय के पद धारण करने वाले न्यायाधीश, यदि वे अन्यथा निर्वाचन न कर चुके हों तो, ऐसे प्रारंभ पर इस प्रका विनिर्दिष्ट राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश हो जाएंगे और अनुच्छेद २१७ के खंड (१) और खंड (२) में किसी बात के होते हुए भी, किंतु उस अनुच्छेद के खंड (१) के परंतुक के अधीन रहते हुए, ऐसी अवधि की समाप्ति तक पद धारण करते रहेंगे जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा अवधारित करे ।
३) इस अनुच्छेद में, न्यायाधीश पद के अंतर्गत कार्यकारी न्यायाधीश या अपर न्यायाधीश नहीं है ।
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१.संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, १९५१ की धारा २३ द्वारा जोडा गया ।

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