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Constitution अनुच्छेद २९६ : राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति ।

भारत का संविधान
अनुच्छेद २९६ :
राजगामी या व्यपगत या स्वामीविहीन होने से प्रोद्भूत संपत्ति ।
इसमें इसके पश्चात् यथा उपबंधित के अधीन रहते हुए, भारत के राज्यक्षेत्रों में कोई संपत्ति जो यदि यह संविधान प्रवर्तन में नहीं आया होता तो राजगामी या व्यपगत होने से या अधिकारवान् स्वामी के अभाव में स्वामीविहीन होने से, यथास्थिति, हिज मजेस्टी को या किसी देशी राज्य के शासक को प्रोद्भूत हुई होती, यदि वह संपत्ति किसी राज्य में स्थित है तो ऐसे राज्य में और किसी अन्य दशा में संघ में निहित होगी :
परंतू कोई संपत्ति, जो उस तारीख को जब वह इस प्रकार हिज मजेस्टी को या देशी राज्य के शासक को प्रोद्भूत हुई होती, भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के कब्जे या नियंत्रण में थी तब, यदि वे प्रयोजन, जिनके लिए वह उस समय प्रयुक्त या धारित थीं, संघ के थे तो वह संघ में या किसी राज्य के थे तो वह उस राज्य में निहित होगी ।
स्पष्टीकरण :
इस अनुच्छेद में, शासक और देशी राज्य पदों के वही अर्थ हैं जो अनुच्छेद ३६३ में हैं ।

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