भारत का संविधान
अनुच्छेद २४३ यठ :
बोर्ड का अधिक्रमण और निलंबन तथा अन्तरिम प्रबंध ।
१)तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी, कोई बोर्ड, छह मास से अधिक की अवधि के लिए अतिष्ठित नहीं किया जाएगा या निलंबनामधील नहीं रखा जाएगा ।
परंतु बोर्ड को-
१)उसके लगातार व्यतिक्रम की दशा में; या
२)अपने कर्तव्यों के अनुपालन में उपेक्षा करने की दशा में; या
३)बोर्ड द्वारा सहकारी सोसाइटी या उसके सदस्यों के हितों के प्रतिकूल कोई करने की दशा में; या
४)बोर्ड के गठन या उसके कृत्यों में कोई गतिरोध उत्पन्न होने की दशा में ; या
५)राज्य विधान-मंडल द्वारा, विधि द्वारा, अनुच्छेद २४३यट के खंड (२) के अधीन यथाउपबंधित प्राधिकारी या निकाय के राज्य अधिनियम के उपबंधों के अनुसार निर्वाचन कराने में असफल रहने की दशा में,
अतिष्ठित किया जा सकेगा या निलंबनाधीन रखा जा सकेगा :
परंतु यह और कि जहां कोई सरकारी शेयर धारण या सरकार द्वारा कोई उधार या वित्तीय सहायता या प्रत्याभूति नहीं है वहां ऐसी किसी सहकारी सोसाइटी के बोर्ड को अतिष्ठित नहीं किया जाएगा या निलंबनाधीन नहीं रखा जाएगा :
परंतु यह भी कि बँककारी कारबार करने वाली किसी सहकारी सोसाइटी की दशा में बँककारी विनियमन अधिनियम,१९४९ (१९४९ का १०) के उपंबंध भी लागू होंगे :
परंतु यह भी कि बहुराज्य सहकारी सोसाइटी से भिन्न बैंककारी कारबार करने वाली किसी सहकारी सोसाइटी की दशा में, इस खंड के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे मानो छह मास शब्दों के स्थान पर एक वर्ष शब्द रखे गए थे ।
२)बोर्ड के अधिक्रमण की दशा में, ऐसी सहकारी सोसाइटी के कार्यकलाप का प्रबंध करने के लिए नियुक्त प्रशासक, खंड (१) में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर निर्वाचनों के संचालन के लिए व्यवस्था करेगा और उसका प्रबंध निर्वाचित बोर्ड को सौंपेगा ।
३)किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, प्रशासक की सेवा की शर्तों के लिए उपबंध कर सकेगा ।
