Site icon Ajinkya Innovations

Constitution अनुच्छेद १९४ : विधान-मंडलों के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार, आदि ।

भारत का संविधान
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां :
अनुच्छेद १९४ :
विधान-मंडलों के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार, आदि ।
१)इस संविधान के उपबंधों के और विधान-मंडल की प्रक्रिया का विनियमन करने वाले नियमों और स्थायी आदेशों के अधीन रहते हुए, प्रत्येक राज्य के विधान-मंडल में वाक्-स्वातंत्र्य होगा ।
२)राज्य के विधान-मंडल में या उसकी किसी समिति में विधान-मंडल के किसी सदस्य द्वारा कही गई किसी बात या दिए गए किसी मत के संबंध में उसके विरूध्द किसी न्यायालय में कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी और किसी न्यायालय में कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी और किसी व्यक्ति के विरूध्द ऐसे विधान-मंडल के किसी सदन के प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन किसी प्रतिवेदन पत्र, मतों या कार्यवाहियों के प्रकाशन के संबंध में इस प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी ।
३) अन्य बातों में राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन की और ऐसे विधान-मंडल के किसी सदन के सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां ऐसी होंगी जो वह विधान-मंडल, समय-समय पर, विधि द्वारा परिनिश्चित करें और जब तक वे इस प्रकार परिनिश्चित नहीं की जाती हैं तब तक १.(वही होंगी जो संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७८ की धारा २६ के प्रवृत्त होने से ठीक पहले उस सदन की और उसके सदस्यों और समितियों की थीं ) ।
४)जिन व्यक्तियों को इस संविधान के आधार पर राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन या उसकी किसी समिति में बोंलने का और उसकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग लेने का अधिकार है, उनके संबंध में खंड (१), खंड (२) और खंड (३) के उपबंध उसी प्रकार लागू होंगे जिस प्रकार वे उस विधान-मंडल के सदस्यों के संबंध में लागू होते हैं ।
———
१.संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७८ की धारा २६ द्वारा (२०-६-१९७९ से ) कुछ शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

Exit mobile version