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Constitution अनुच्छेद १३९-क : १.(कुछ मामलों का अतंरण ।

भारत का संविधान
अनुच्छेद १३९-क :
१.(कुछ मामलों का अतंरण ।
२.(१) यदि ऐसे मामले, जिनमें विधि के समान या सारत: समान प्रश्न अंतर्वलित हैं, उच्चतम न्यायालय के और एक या अधिक उच्च न्यायालयों के अथवा दो या अधिक उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं और उच्चतम न्यायालय का स्वप्रेरणा से अथवा भारत के महान्यायवादी द्वारा या ऐसे किसी मामले के किसी पक्षकार द्वारा किए गए आवेदन पर यह समाधान हो जाता है कि ऐसे प्रश्न व्यापक महत्व के सारवान् प्रश्न हैं तो, उच्चतम न्यायालय उस उच्च न्यायालय या उन उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित मामले या मामलों मो अपने पास मंगा सकेगा और उन सभी मामलों को स्वयं निपटा सकेगा :
परन्तु उच्चतम न्यायालय इस प्रकार मंगाए गए मामले को उक्त विधि के प्रश्नों का अवधारण करने के पश्चात् ऐसे प्रश्नों पर अपने निर्णय की प्रतिलिपि सहित उस उच्च न्यायालय को, जिससे मामला मंगा लिया गया है, लौटा सकेगा और वह उच्च न्यायालय उसके प्राप्त होने पर उस मामले को ऐसे निर्णय के अनुरूप निपटाने के लिए आगे कार्यवाही करेगा । )
२)यदि उच्चतम न्यायालय न्याय के उद्देश्य की पूर्ति के लिए करना समीचीन समझता है तो वह किसी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले, अपील या अन्य कार्यवाही का अंतरण किसी अन्य उच्च न्यायालय को कर सकेगा ।)
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१.संविधान (बयालीसवां संशोधन ) अधिनियम, १९७६ की धारा २४ द्वारा ( १-२-१९७७ से ) अंत:स्थापित ।
२.संविधान (चवालीसवां संशोधन ) अधिनियम, १९७८ की धारा २१ द्वारा ( १-८-१९७९ से ) खंड (१) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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