भारत का संविधान
अनुच्छेद ३३८ख :
१.(पिछडे वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग :
१) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछडे वर्गों के लिए एक आयोग होगा जो राष्ट्रीय पिछडा वर्ग आयोग के नाम से ज्ञात होगा ।
२) संसद् द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, आयोग एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा और इस प्रकार नियुक्त किए गए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा की शर्तें और पदावधि एसी होंगी, जो राष्ट्रपति, नियम द्वारा अवधारित करे ।
३) राष्ट्रपति, अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों को नियुक्त करेगा ।
४) आयोग को अपनी प्रक्रिया स्वयं विनियमित करने की शक्ति होगी ।
५) आयोग का यह कर्तव्य होगा की वह, –
क) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछडे वर्गों के लिए इस संविधान या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या सरकार के किसी आदेश के अधीन उपबंधित रक्षोपार्यों (संरक्षक उपाययोजना) से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण करे और उन पर निगरानी रखे तथा ऐसे रक्षोपार्यो (संरक्षक उपाययोजना) के कार्यकारण का मूल्यांकन करे ;
ख) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछडे वर्गों को उनके अधिकारों और रक्षोपार्यो (संरक्षक उपयोजना) से वंचित करने के संबंध में विनिर्दिष्ट शिकायतों की जांच करे ;
ग) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछडे वर्गों के सामाजिक – आर्थिक विकास के संबंध में भाग ले और उन पर सलाह दे तथा संघ और किसी राज्य के अधीन उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करे ;
घ) उन रक्षोपार्यो (संरक्षक उपाययोजना) के कार्यकरण के बारे में प्रतिवर्ष और ऐसे अन्य समयों पर, जो आयोग ठीक समझे, राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रस्तुत करे;
ङ) ऐसी रिपोर्टों में उन उपायों के बारे में, जो उन रक्षोपार्यो (संरक्षक उपाययोजना) के प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन के लिए संघ या किसी राज्य द्वारा किए जाने चाहिए तथा सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछडे वर्गों के संरक्षण, कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अन्य उपायों के बारे में सिफारिश करे; और
च) सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछडे वर्गों के संरक्षण, कल्याण और विकास तथा उन्नयन के संबंध में ऐसे अन्य कृत्यों का निर्वहन करे, जो राष्ट्रपति, संसद् द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, नियम द्वारा विनिर्दिष्ट करे ।
६) राष्ट्रपति, ऐसी सभी रिपोर्टों को संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा और उनके साथ संघ से संबंधित सिफारिशों पर की गई या किए जाने के लिए प्रस्थापित कार्रवाई तथा यदि कोई ऐसी सिफारिश अस्वीकृत की गई है तो अस्वीकृति के कारणों को स्पष्ट करने वाला ज्ञापन भी होगा ।
७) जहां कोई ऐसी रिपोर्ट या उसका कोई भाग, किसी ऐसे विषय से संबंधित है, जिसका राज्य सरकार से संबंध है, तो ऐसी रिपोर्ट की एक प्रति उस राज्य सरकार को भेजी जाएगी, जो उसे राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवाएगी और उसके साथ राज्य से संबंधित सिफारिशों पर की गई या किए जाने के लिए प्रस्थापित कार्रवाई तथा यदि कोई ऐसी सिफारिश अस्वीकृत की गई है तो अस्वीकृति के कारणों को स्पष्ट करने वाला ज्ञापन भी होगा ।
८) आयोग को, खंड (५) के उपखंड (क) में निर्दिष्ट किसी विषय का अन्वेषण करते समय या उपखंड (ख) में निर्दिष्ट किसी परिवाद के बारे में जांच करते समय, विशिष्टतया निम्नलिखित विषयों के संबंध में, वे सभी शक्तियां होंगी, जो वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय को हैं, अर्थात् :-
क) भारत के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना ;
ख) किसी दस्तावेज को प्रकट और पेश करने की अपेक्षा करना;
ग) शपथपत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना;
घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रति की अध्यपेक्षा करना;
ङ) साक्षियों और दस्तावेजों की परीक्षा के लिए कमीशन निकालना;
च) कोई अन्य विषय, जो राष्ट्रपति, नियम द्वारा अवधारित करे ।
९) संघ और प्रत्येक राज्य सरकार, सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछडे वर्गों को प्रभावित करने वाले सभी महत्वपूर्ण नीतिगत विषयों पर आयोग से परामर्श करेगी 🙂
२.(परंतु इस खंड की कोई बात अनुच्छेद ३४२क के खंड (३) के प्रयोजनों के लिए लागू नहीं होगी ।)
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१. संविधान (एक सौ दोवां संशोधन) अधिनियम २०१८ की धारा ३ द्वारा (११-८-२०१८ से) अन्त:स्थापित ।
२. संविधान (एक सौ पाचवां संशोधन) अधिनियम २०१२ की धारा २ द्वारा (१५-९-२०२१ से) अन्त:स्थापित ।