Constitution अनुच्छेद ३१२क : कुछ सेवाओं के अधिकारियों की सेवा की शर्तों में परिवर्तन करने या उन्हें प्रतिसंहत करने की संसद् की शक्ति ।

भारत का संविधान
अनुच्छेद ३१२ क :
१.(कुछ सेवाओं के अधिकारियों की सेवा की शर्तों में परिवर्तन करने या उन्हें प्रतिसंहत करने की संसद् की शक्ति ।
१)संसद्, विधि द्वारा –
क) उन व्यक्तियों की, जो सेक्रेटरी ऑफ स्टेट द्वारा या सेक्रेटरी ऑफ स्टेट इन कौंसिल द्वारा इस संविधान के प्रारंभ से पहले भारत में क्राउन की किसी सिविल सेवा में नियुक्त किए गए थे और जो संविधान (अट्ठाइसवां संशोधन) अधिनियम, १९७२ के प्रारंभ पर और उसके पश्चात्, भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी सेवा या पद पर बने रहते हैं, पारिश्रमिक, छुट्टी और पेंशन संबंधी सेवा की शर्तें तथा अनुशासनिक विषयों संबंधी अधिकार,भविष्यलक्षी या भूतलक्षी रूप से परिवर्तित कर सकेगी या प्रतिसंहृत कर सकेगी ;
ख) उन व्यक्तियों की, जो सेक्रेटरी ऑफ स्टेट द्वारा या सेक्रेटरी ऑफ स्टेट इन कौंसिल द्वारा इस संविधान के प्रारंभ से पहले भारत में क्राउन की किसी सिविल सेवा में नियुक्त किए गए थे और जो संविधान ( अट्ठाइसवां संशोधन ) अधिनियम, १९७२ के प्रारंभ से पहले किसी समय सेवा से निवृत्त हो गए हैं या अन्यथा सेवा में नहीं रहे हैं, पेंशन संबंधी सेवा की शर्तें भविष्यलक्षी या भूतलक्षी रूप से परिवर्तित कर सकेगी या प्रतिसंहृत कर सकेगी :
परंतु किसी ऐसे व्यक्ति की दशा में, जो उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति या अन्य न्यायाधीश, भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक, संघ या किसी राज्य के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या अन्य सदस्य अथवा मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पद धारण कर रहा है या कर चुका है, उपखंड क) या उपखंड (ख) की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह संसद् को, उस व्यक्ति की उक्त पद पर नियुक्ति के पश्चात्, उसकी सेवा की शर्तों में, वहां तक के सिवाय जहां तक ऐसी सेवा की शर्तें उसे सेक्रेटरी ऑफ स्टेट द्वारा या सेक्रेटरी ऑफ स्टेट इन कौंसिल द्वारा भारत में क्राउन की किसी सिविल सेवा में नियुक्त किया गया व्यक्ति होन के कारण लागू हैं, उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन करने के लिए या उन्हें प्रतिसंहृत करने के लिए सशक्त करती है ।
२) वहां तक के सिवाय जहां तक संसद्, विधि द्वारा, इस अनुच्छेद के अधीन उपबंध करे इस अनुच्छेद की कोई बात खंड (१) में निर्दिष्ट व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन करने की इस संविधान के किसी अन्य उपबंध के अधीन किसी विधान-मंडल या अन्य प्राधिकारी की शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी ।
३) उच्चतम न्यायालय को या किसी अन्य न्यायालय को निम्नलिखित विवादों में कोई अधिकारिता नहीं होगी, अर्थात् :-
क) किसी प्रसंविदा, करार या अन्य ऐसी ही लिखत के, जिसे खंड (१) में निर्दिष्ट किसी व्यक्ति ने किया है या निष्पादित किया है, किसी उपबंध से या उस पर किए गए किसी पृष्ठांकन से उत्पन्न कोई विवाद अथवा ऐसे व्यक्ति को, भारत में क्राउन की किसी सिविल सेवा में उसकी नियुक्ति या भारत डोमिनियन की या उसके किसी प्रांत की सरकार के अधीन सेवा में उसके बने रहने के संबंध में भेजे गए किसी पत्र के आधार पर उत्पन्न कोई विवाद ;
ख) मूल रूप में यथा अधिनियमित अनुच्छेद ३१४ के अधीन किसी अधिकार, दायित्व या बाध्यता के संबंध में कोई विवाद ।
४) इस अनुच्छेद के उपबंध मूल रूप में यथा अधिनियमित अनुच्छेद ३१४ में या इस संविधान के किसी अन्य उपबंध में किसी बात के होते हुए भी प्रभावी होंगे । )
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१.संविधान (अट्ठाइसवां संशोधन ) अधिनियम, १९७२ की धारा २ द्वारा ( २९-८-१९७२ से ) अंत:स्थापित ।

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