भारत का संविधान
अनुच्छेद २७६ :
वृत्तियों, व्यापारों आजीविकाओं और नियोजनों पर कर ।
१) अनुच्छेद २४६ में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य के विधान-मंडल की ऐसे करों से संबंधित कोई ,विधि जो उस राज्य के या उसमें किसी नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड या अन्य स्थानीय प्राधिकारी के फायदे के लिए वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं या नियोजनों के संबंध में है, इस आधार पर अविधिमान्य नहीं होगी कि वह आय पर कर से संबंधित है ।
२) राज्य को या उस राज्य में उस राज्य में किसी एक नगरपालिका, जिला बोर्ड, स्थानीय बोर्ड या अन्य स्थानीय प्राधिकारी को किसी एक व्यक्ति के बारे में वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर करों के रूप में संदेय कुल रकम १.(दो हजार पांच सौ रूपए) प्रति वर्ष से अधिक नहीं होगी ।
२.( **)
३) वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों पर करों के संबंध में पूर्वोक्त रूप में विधियां बनाने की राज्य के विधान-मंडल की शक्ति का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नियोजनों से प्रोद्भूत या उद्भूत आय पर करों के संबंध में विधियां बनाने की संसद् की शक्ति को किसी प्रकार सीमित करती है ।
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१.संविधान (साठवां संशोधन) अधिनियम, १९८८ की धारा २ द्वारा दो सौ पचास रूपए शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२.संविधान (साठवां संशोधन) अधिनियम, १९८८ की धारा २ द्वारा परन्तुक का लोप किया गया ।