Site icon Ajinkya Innovations

Bsa धारा १६८ : प्रश्न करने या पेश करने का आदेश देने की न्यायाधीश की शक्ति :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा १६८ :
प्रश्न करने या पेश करने का आदेश देने की न्यायाधीश की शक्ति :
न्यायाधीश सुसंगत तथ्यों का पता चलाने के लिए या उनका सबूत अभिप्राप्त करने के लिए, किसी भी रुप में किसी भी समय किसी भी साक्षी या पक्षकारों से किसी भी तथ्य के बारे में कोई भी प्रश्न, जो वह आवश्यक समझे, पूछ सकेगा, तथा किसी भी दस्तावेज या चीज को पेश करने का आदेश दे सकेगा; और न तो पक्षकार और न उनके प्रतिनिधि हकदार होंगे कि वे किसी भी ऐसे प्रश्न या आदेश के प्रति कोई भी आक्षेप करें, न ऐसे किसी भी प्रश्न के प्रत्युत्तर में दिए गए किसी भी उत्तर पर किसी भी साक्षी की न्यायालय की इजाजत के बिना प्रतिपरीक्षा करने के हकदार होंगे :
परन्तु निर्णय, उन तथ्यों पर, जो इस अधिनियम द्वारा सुसंगत घोषित किए गए है और जो सम्यक् रुप से साबित किए गए हों, आधारित होना चाहिए :
परन्तु यह भी कि न तो यह धारा न्यायाधीश को किसी साक्षी को किसी ऐसे प्रश्न का उत्तर देने के लिए या किसी ऐसी दस्तावेज को पेश करने को विवश करने के लिए प्राधिकृत करेगी, जिसका उत्तर देने से या जिसे पेश करने से, यदि प्रतिपक्षी द्वारा वह प्रश्न पूछा गया होता या वह दस्तावेज मंगाई गई होती, तो ऐसा साक्षी दोनों धाराओं को सम्मिलित करते हुए धारा १२७ से धारा १३६, दोनों सहित, के अधीन इन्कार करने का हकदार होता, और न न्यायाधीश कोई ऐसा प्रश्न पूछेगा जिसका पूछना किसी अन्य व्यक्ति के लिए धारा १५१ या धारा १५२ के अधीन अनुचित होता; और न वह एतस्मिनपूर्व अपवादित दशाओं के सिवाय किसी भी दस्तावेज के प्राथमिक साक्ष्य का दिया जाना अभिमुक्त करेगा ।

Exit mobile version