Site icon Ajinkya Innovations

Bsa धारा १३ : कार्य आकस्मिक या साशय था इस प्रश्न पर प्रकाश डालने वाला तथ्य :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा १३ :
कार्य आकस्मिक या साशय था इस प्रश्न पर प्रकाश डालने वाला तथ्य :
जबकि प्रश्न यह है कि कार्य आकस्मिक या साशय था या किसी विशिष्ट ज्ञान या आशय से किया गया था, तब यह तथ्य कि ऐसा कार्य समरुप घटनाओं की आवली (क्रमबद्धता ) का भाग था जिनमें से हर घटना के साथ वह कार्य करने वला व्यक्ति सम्पृक्त (वास्ता रखने वाला) था, सुसंगत है ।
दृष्टांत :
(a) क) (ऐ) पर यह अभियोग है कि अपने गृह के (बी) मे का धन अभिप्राप्त करने के लिए उसने उसे जला दिया । यह तथ्य कि (ऐ) कई गृहों में ऐक के पश्चात दुसरे में रहा जिनमें से हर एक का उसने बीमा कराया, जिनमें से हर एक में आग लगी और जिन अग्निकांडों में से हर एक के उपरान्त (ऐ) को किसी भिन्न बीमा कार्यालय से बीमा धन मिला, इस नाते सुसंगत है की उनसे यह दर्शित होता है कि वे अग्निकांड आकस्मिक नहीं थे ।
(b) ख) (बी) के ऋणियों से धन प्राप्त करने के लिए (ऐ) नियोजित है । (ऐ) का यह कर्तव्य है कि बही में अपने द्वारा प्राप्त राशियाँ दर्शित करने वाली प्रविष्टियाँ करे । वह एक प्रविष्टि करता है जिससे यह दर्शित होता है कि किसी विशिष्ट अवसर पर उसे वास्तव में प्राप्त राशि से कम राशि प्राप्त हुई । प्रश्न यह है कि क्या यह मिथ्या प्रविष्टि आकस्मिक थी या साशय । ये तथ्य कि उसी बही में (ऐ) द्वारा कि गई अन्य प्रविष्टियाँ मिथ्या है और कि हर अवस्था में मिथ्या प्रविष्टि ऐ के पक्ष में है, सुसंगत है ।
(c) ग) (बी) को कपटपूर्वक कूटकृत करेंसी परिदान करने का (ऐ) अभियुक्त है । प्रश्न यह है कि क्या करेंसी का परिदान आकस्मिक था । यह तथ्य कि (बी) को परिदान करने के तुरंत पहले या पीछे (ऐ) ने (सी), (डी) और (ई) को कूटकृत करेंसी परिदान किये थे इस नाते सुसंगत है कि उनसे यह दर्शित होता है कि (बी) को किया गया परिदान आकस्मिक नहीं था ।

Exit mobile version