भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
अन्य व्यक्तियों की राय कब सुसंगत है :
धारा ३९ :
विशेषज्ञों की राय :
१) जब की न्यायालय को विदेशी विधि की या विज्ञान की या कला की किसी बात पर या हस्तलेख या अंगुली चिन्हों की अनन्यता के बारे में राय बनानी हो तो तब उस बात पर ऐसी विदेशी विधि, विज्ञान या कला में या किसी अन्य क्षेत्र में या हस्तलेख या अंगुली चिन्हों की अनन्यता विषयक प्रश्नों में विशेष कुशल व्यक्तियों की राय सुसंगत तथ्य है और ऐसे व्यक्ति विशेषज्ञ कहलाते है ।
दृष्टांत :
(a) क) प्रश्न यह है कि क्या (ऐ) की मृत्यु विष द्वारा कारित हुई । जिस विष के बारे में अनुमान है कि उससे (ऐ) की मृत्यु हुई है, उस विष से पैदा हुए लक्षणों के बारे में विशेषज्ञों की रायें सुसंगत है ।
(b) ख) प्रश्न यह है कि क्या (ऐ) अमुक कार्य करने के समय चित्तविकृति के कारण उस कार्य की प्रकृति, या यह कि जो कुछ वह कर रहा है वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल है, जानने में असमर्थ था । इस प्रश्न पर विशेषज्ञों की रायें सुसंगत है कि क्या (ऐ) द्वारा प्रदर्शित लक्षणों से चित्तविकृति सामान्यत: दर्शित होती है तथा क्या ऐसी चित्तविकृति लोगों को उन कार्यो की प्रकृति जिन्हें वे करते है, या वह कि जो कुछ वे कर रहै है वह या तो दोषपुर्ण या विधि के प्रतिकूल है, जानने में प्राय: असमर्थ बना देती है ।
(c) ग) प्रश्न यह है कि क्या अमुक दस्तावेज (ऐ) द्वारा लिखि गई थी । एक अन्य दस्तावेज पेश की जाती है जिसका (ऐ) द्वारा लिखा जाना साबित या स्वीकृत है । इस प्रश्न पर विशेषज्ञों की रायें सुसंगत है कि क्या दोनों दस्तावेजें एक ही व्यक्ती द्वारा या विभिन्न व्यक्तियों द्वारा लिखी गई थी ।
२) जब न्यायालय को किसी कार्यवाही में किसी कम्प्युटर साधन या किसी अन्य इलेक्ट्रानिक या अंकीय रुप से पारेषित या भंडारित किसी सूचना से संबंधित किसी विषय पर कोई राय बनानी होती है तब सूचना प्रौद्योगिकि अधिनियम, २००० (२००० का २१) की धारा ७९-क (a) में निर्दिष्ट इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के परीक्षक की राय सुसंगत तथ्य है ।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा के प्रयोजनों के लिऐ, इलेक्ट्रानिक साक्ष्य का कोई परीक्षक, विशेषज्ञ होगा ।