भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ८ :
सेशन (सत्र) न्यायालय :
१) राज्य सरकार प्रत्येक सेशन खण्ड के लिए एक सेशन न्यायालय स्थापित करेगी ।
२) प्रत्येक सेशन न्यायालय में एक न्यायाधीश पीठासीन (अध्यक्ष होना) होगा, जो उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त किया जाएगा ।
३) उच्च न्यायालय अपर सेशन न्यायाधीशों को भी सेशन न्यायालय में अधिकारिता का प्रयोग करने के लिए नियुक्त कर सकता है ।
४) उच्च न्यायालय द्वारा एक सेशन खण्ड के सेशन न्यायाधीश को दूसरे खण्ड का अपर सेशन न्यायाधीश भी नियुक्त किया जा सकता है और ऐसी अवस्था में वह मामलों को निपटाने के लिए दुसरे खण्ड के ऐसे स्थान या स्थानों में बैठ सकता है जिनका उच्च न्यायालय निर्देश दे ।
५) जहाँ किसी सेशन न्यायाधीश का पद रिक्त होचा है वहाँ उच्च न्यायालय किसी ऐसे शिघ्र (अर्जण्ट) आवेदन के, जो उस सेशन न्यायालय के समक्ष किया जाता है, अपर सेशन न्यायाधीश द्वारा, अथवा यदि अपर सेशन न्यायाधीश नहीं है तो सेशन खण्ड के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रट द्वारा निपटाए जाने के लिए व्यवस्था कर सकता है और ऐसे प्रत्येक न्यायाधीश या मजिस्ट्रट को ऐसे आवेदन पर कार्यवाही करने की अधिकारिता होगी ।
६) सेशन न्यायालय सामान्यत: अपनी बैठक ऐसे स्थान या स्थानों पर करेगा जो उच्च न्यायालय अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे; किन्तु यदि किसी विशेष मामलें में, सेशन न्यायालय की यह राय है कि सेशन खण्ड में किसी अन्य स्थान में बैठक करने से पक्षकारों और साक्षियों को सुविधा होगी तो वह, अभियोजन और अभियुक्त की सहमति से उस मामले को निपटाने के लिए या उसमें साक्षी या साक्षियों की परीक्षा करने के लिए उस स्थान पर बैठक कर सकता है ।
७) सेशन न्यायाधीश ऐसे अपर सेशन न्यायाधीशों में कार्य के वितरण के बारे में इस संहिता से संगत नियम, समय-समय पर बना सकता है ।
८) सेशन न्यायाधीश, अपनी अनुपस्थिति में या कार्य करने में असमर्थता की स्थिति में, किसी अर्जेण्ट (शिघ्र) आवेदन के अपर सेशन न्यायाधीश द्वारा, या यदि कोई अपर सेशन न्यायाधीश न हो तो, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रट द्वारा निपटाए जाने के लिए भी व्यवस्था कर सकता है, और यह समझ जाएगा कि ऐसे न्यायाधीश या मजिस्ट्रट को एसे आवेदन पर कार्यवाही करने की अधिकारिता है ।
स्पष्टीकरण :
इस संहिता के प्रयोजनों के लिए नियुक्ती के अंतर्गत सरकार द्वारा संघ या राज्य के कार्यकलापों के सम्बन्ध में किसी सेवा या पद पर किसी व्यक्ती की प्रथम नियुक्ति, पद स्थापना या पदोन्नति नहीं है, जहाँ किसी विधि के अधीन ऐसी नियुक्ति, पद-स्थापना या पदोन्नति सरकार द्वारा किए जाने के लिए अपेक्षित है ।
