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Bnss धारा ५२१ : सेना न्यायालय द्वारा विचारणीय व्यकियों का कमान अफसरों को सौंपा जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ५२१ :
सेना न्यायालय द्वारा विचारणीय व्यकियों का कमान अफसरों को सौंपा जाना :
१) केन्द्रीय सरकार इस संहिता से और सेना अधिनियम, १९५० (१९५० का ४६), नौसेना अधिनियम, १९५७ (१९५७ का ६२) और वायुसेना अधिनियम, १९५० (१९५० का ४५) और संघ के सशस्त्र बल से संबंधित तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि से संगत नियम ऐसे मामले के लिए बना सकेगी जिनमें सेना, नौसेना या वायुसेना संबंधी विधि या अन्य ऐसी विधि के अधीन होने वाले व्यक्तियों का विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा, जिसको यह संहिता लागू होती है, या सेना न्यायालय द्वारा किया जाएगा; तथा जब कोई व्यक्ती किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष लाया जाता है और ऐसे अपराध के लिए आरोपित किया जाता है, जिसके लिए उसका विचारण या तो उस न्यायालय द्वारा जिसको यह संहिता लागू होती है, या सेना न्यायालय द्वारा किया जा सकता है तब ऐसा मजिस्ट्रेट ऐसे नियमों को ध्यान में रखेगा और उचित मामलों में उसे उस अपराध के कथन सहित, जिसका उस पर अभियोग है, उस युनिट के जिसका वह हो, कमा ऑफिसर को या, यथास्थिति, निकटतम सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक स्टेशन के कमान ऑफिसर को सेना न्यायालय द्वारा उसका विचारण किए जाने के प्रयोजन से सौंप देगा ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा में –
(a) क) युनिट के अन्तर्गत रेजिमेंट, कोर, पोत, टुकडी, ग्रृप, बटालियन या कंपनी भी है ;
(b) ख) सेना न्यायालय के अन्तर्गत ऐसा कोई अधिकरण भी है जिसकी वैसी ही शक्तियाँ है जैसी संघ के सशस्त्र बल को लागू सुसंगत विधि के अधीन गठित किसी सेना न्यायालय की होती है ।
२) प्रत्येक मजिस्ट्रेट ऐसे अपराध के लिए अभियुक्त व्यक्ति को पकडने और सुरक्षित रखने के लिए अपनी और से अधिकतम प्रयास करेगा जब उसे किसी ऐसे स्थान में आस्थित या नियोजित सैनिकों, नाविकों, या वायु सैनिकों के किसी यूनिट या निकाय के कमान आफिसर से उस प्रयोजन के लिए लिखित आवेदन प्राप्त होता है ।
३) उच्च न्यायालय, यदि ठिक समझे तो, यह निदेश दे सकता है कि राज्य के अन्दर स्थित किसी जेल में निरुद्ध किसी बंदी को सेना न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले के बारे में विचारण के लिए या परीक्षा किए जाने के लिए सेना न्यायालय के समक्ष लाया जाए ।

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