भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४८५ :
अभियुक्त और प्रतिभुओं का बंधपत्र :
१) किसी व्यक्ति के जमानत पर छोडे जाने या अपने बंधपत्र या जमानतपत्र पर छोडे जाने के पूर्व उस व्यक्ति द्वारा, इतनी धनराशि के लिए जितनी, यथास्थिति, पुलिस अधिकारी या न्यायालय पर्याप्त समझे, बंधपत्र निष्पादित किया जाएगा और जब उसे बंधपत्र या जमानतपत्र पर छोडा जाएगा तो एक या अधिक पर्याप्त प्रतिभूओं द्वारा यह सर्शत माना जाएगा कि ऐसा व्यक्ति बंधपत्र में वर्णित समय और स्थान पर हाजिर होगा और जब तक, यथास्थिति, पुलिस अधिकारी या न्यायालय द्वारा अन्यथा निदेश नहीं दिया जाता है इस प्रकार बराबर हाजिर होता रहेगा ।
२) जहाँ किसी व्यक्ति को जमानत पर छोडने के लिए कोई शर्त अधिरोपित की गई है, वहाँ बंधपत्र या जमानतपत्र में वह शर्त भी अंतर्विष्ट होगी ।
३) यदि मामले में ऐसा अपेक्षित है तो बन्धपत्र या जमानतपत्र द्वारा जमानत पर छोडे गए व्यक्ति को अपेक्षा किए जाने पर आरोप का उत्तर देने के लिए उच्च न्यायालय, सेशन न्यायालय या अन्य न्यायालय में हाजिर होने के लिए भी आबद्ध किया जाएगा ।
४) यह अवधारित करने के प्रयोजन के लिए कि क्या प्रतिभू उपयुक्त या पर्याप्त है अथवा नहीं, न्यायालय शपथपत्रों को, प्रतिभुओं के पर्याप्त या उपयुक्त होने के बारे में उनमें अन्तर्विष्ट बातों के सबूत के रुप में, स्वीकार कर सकता है अथवा यदि न्यायालय आवश्यक समझे तो वह ऐसे पर्याप्त या उपयुक्त होने के बारे में या तो स्वयं जाँच कर सकता है या अपने अधीनस्थ किसी मजिस्ट्रेट से जाँच करवा सकता है ।
