Site icon Ajinkya Innovations

Bnss धारा ४६४ : कारावास के दण्डादेश के निष्पादन का निलंबन :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४६४ :
कारावास के दण्डादेश के निष्पादन का निलंबन :
१) जब अपराधी को केवल जुर्माने का और जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास का दण्डादेश दिया गया है और जुर्माना तत्काल नहीं दिया जाता है तब न्यायालय –
(a) क) आदेश दे सकता है कि जुर्माना या तो ऐसी तारीख को या उससे पहले, जो आदेश की तारीख से तीस दिन से अधिक बाद की न होगी, पूर्णत: संदेय होगा, या दो या तीन किस्तों में संदेय होगा जिनमें से पहली किस्त ऐसी तारिख को या उससे पहले संदेय होगी, जो आदेश की तारीख से तीस दिन से अधिक के बाद की न होगी, औरअन्य किस्त या किस्तें, यथास्थिति, तीस दिन से अनधिक के अन्तराल या अन्तरालों पर संदेय होगी या होंगी ;
(b) ख) कारावास के दण्डादेश का निष्पादन निलम्बित कर सकता है और अपराधी द्वारा, जैसा न्यायालय ठीक समझे, इस शर्त का बंधपत्र या जमानतपत्र निष्पादित किए जाने पर कि, यथास्थिति, जुर्माना या उसकी किस्तें देने की तारीख को वह न्यायालय के समक्ष हाजिर होगा, अपराधी को छोड सकता है, और यदि, यथास्थिति, जुर्माने की या किसी किस्त की रकम उस अंतिम तारीख को या उसके पूर्व जिसको वह आदेश के अधीन संदेय हो, प्राप्त न हो तो न्यायालय कारावास के दण्डादेश के तुरंत निष्पादित किए जाने का निदेश दे सकता है ।
२) उपधारा (१) के उपबंध किसी ऐसे मामले में भी लागू होंगे जिसमें ऐसे धन के संदाय के लिए आदेश किया गया है जिसके वसूल न होने पर कारावास अधिनिर्णीत किया जा सकता है और धन तुरन्त नहीं दिया गया है और यदि वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध आदेश दिया जाता है उस उपधारा में निर्दिष्ट बंधपत्र लिखने की अपेक्षा किए जाने पर ऐसा करने में असफल रहता है तो न्यायालय कारावास का दण्डादेश तुरन्त पारित कर सकता है ।

Exit mobile version