Site icon Ajinkya Innovations

Bnss धारा ४६१ : जुर्माना उद्ग्रहित करने के लिए वारण्ट :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
(C)ग) – जुर्माने का उद्ग्रहण :
धारा ४६१ :
जुर्माना उद्ग्रहित करने के लिए वारण्ट :
१) जब किसी अपराधी के जुर्माने का दण्डादेश दिया गया है किन्तु ऐसा संदाय नहीं किया गया है, तब दण्डादेश देने वाला न्यायालय निम्नलिखित प्रकारों में से किसी या दोनों प्रकार से जुर्माने की वसूली के लिए कार्यवाई कर सकता है, अर्थात वह –
(a) क) अपराधी की किसी जंगम संपत्ती की कुर्की और विक्रय द्वारा रकम को उद्ग्रहीत करने के लिए वारण्ट जारी कर सकता है,
(b) ख) व्यतिक्रमी की जंगम या स्थावर संपत्ति या दोनों से भू-राजस्व की बकाया के रुप में रकम को उद्ग्रहीत करने के लिए जिले के कलेक्टर को प्राधिकृत करते हुए उसे वारण्ट जारी कर सकता है :
परन्तु यदि दण्डादेश निदिष्ट करता है कि जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर अपराधी कारावासित किया जाएगा और यदि अपराधी ने व्यतिक्रम के बदले में ऐसा पुरा कारावास भुगत लिया है तो कोई न्यायालय ऐसा वारण्ट तब तक न जारी करेगा जब तक वह विशेष कारणों से जो अभिलिखित किए जाएँगे, ऐसा करना आवश्यक न समझे अथवा जब तक उसने जुर्माने में से व्यय या प्रतिकर के संदाय के लिए धारा ३९५ के अधीन आदेश न किया हो ।
२) राज्य सरकार उस रीति को विनियमित करने के लिए,जिससे उपधारा (१) के खण्ड (a)(क) के अधीन वारण्ट निष्पादित किए जाने है और ऐसे वारण्ट के निष्पादन में कुर्क गई किसी संपत्ति के बारे में अपराधी से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा किए गए किन्हीं दावों के संक्षिप्त अवधारण के लिए, नियम बना सकती है ।
३) जहाँ न्यायालय कलेक्टर को उपधारा (१) के खण्ड (b)(ख) के अधीन वारण्ट जारी करता है वहाँ कलेक्टर उस रकम को भू-राजस्व बकाया की वसूली से संंबंधित विधि के अनुसार वसूल करेगा मानो ऐसा वारंट ऐसी विधि के अधीन जारी किया गया प्रमाण-पत्र हो :
परन्तु ऐसा कोई वारण्ट अपराधी की गिरफ्तारी या कारावास से निरोध द्वारा निष्पादित न किया जाएगा ।

Exit mobile version