Site icon Ajinkya Innovations

Bnss धारा ३७८ : नातेदार या मित्र की देख-रेख के लिए चित्त-विकृत व्यक्ति का सौपा जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३७८ :
नातेदार या मित्र की देख-रेख के लिए चित्त-विकृत व्यक्ति का सौपा जाना :
१) जब कभी धारा ३६९ या ३७४ के उपबंधों के अधीन निरुद्ध किसी व्यक्ति का कोई नातेदार या मित्र यह चाहता है कि वह व्यक्ति उसकी देख-रेख और अभिरक्षा में रखे जाने के लिए सौप दिया जाए जब राज्य सरकार उस नातेदार या मित्र के आवेदन पर और उसके द्वारा ऐसी राज्य सरकार को समाधानप्रद प्रतिभूति इस बाबत दिए जाने पर कि-
(a) क) सौपे गए व्यक्ति की समुचित देख-रेख की जाएगी और वह अपने आपको या किसी अन्य व्यक्ति को क्षति पहुँचाने से निवारित रखा जाएगा;
(b) ख) सौंपा गया व्यक्ति ऐसे अधिकारी के समक्ष और ऐसे समय और स्थानों पर, जो राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट किए जाँए, निरीक्षण के लिए पेश किया जाएगा;
(c) ग) सौंपा गया व्यक्ति, उस दशा में जिसमें वह धारा ३६९ की उपधारा (२) के अधीन निरुद्ध व्यक्ति है, अपेक्षा किए जाने पर ऐसे मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा,
ऐसे व्यक्ति को ऐसे नातेदार या मित्र को सौपने का आदेश दे सकेगी ।
२) यदि ऐसे सौपा गया व्यक्ती किसी ऐसे अपराध के लिए अभियुक्त है, जिसका विचारण उसके विकृत चित्त होने और अपनी प्रतिरक्षा करने में असमर्थ होने के कारण मुल्तवी किया गया है और उपधारा (१) के खण्ड (ख) में निर्दिष्ट निरीक्षण अधिकारी किसी समय मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष यह प्रमाणित करता है कि ऐसा व्यक्ति अपनी प्रतिरक्षा करने में समर्थ है तो ऐसा मजिस्ट्रेट या न्यायालय उस नातेदार या मित्र से, जिसे ऐसा अभियुक्त सौंपा गया है, अपेक्षा करेगा कि वह उसे उस मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष पेश करे और ऐसे पेश किए जाने पर वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय ३७१ के उपबंधों के अनुसारा कार्यवाही करेगा और निरीक्षण अधिकारी का प्रमाण पत्र साक्ष्य के तौर पर ग्रहण किया जा सकता है ।

Exit mobile version