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Bnss धारा ३५५ : कुछ मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में जाँच और विचारण किए जाने के लिए उपबंध :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३५५ :
कुछ मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में जाँच और विचारण किए जाने के लिए उपबंध :
१) इस संहिता के अधीन जाँच या विचारण के किसी प्रक्रम में यदि न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट का उन कारणों से, जो अभिलिखित किए जाएँगे, समाधान हो जाता है कि न्यायालय के समक्ष अभियुक्त की वैयक्तिक हाजिरी न्याय के हित में आवश्यक नहीं है या अभियुक्त न्यायालय की कार्यवाही के बार-बार विघ्न डालता है तो ऐसे अभियुक्त का प्रतिनिधित्व प्लीडर द्वारा किए जाने की दशा में, वह न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट उसकी हाजिरी से उसे अभिमुक्ति दे सकता है और उसकी अनुपस्थिति में ऐसी जाँच या विचारण करने के लिए अग्रसर हो सकता है और कार्यवाही के किसी पश्चात्वर्ती प्रक्रम में ऐसे अभियुक्त की वैयक्तिक हाजिरी का निदेश दे सकता है ।
२) यदि ऐसे किसी मामलें में अभियुक्त का प्रतिनिधित्व वकील द्वारा नहीं किया जा रहा है अथवा यदि न्यायाधिश या मजिस्ट्रेट का यह विचार है कि अभियुक्त की वैयक्तिक हाजिरी आवश्यक है तो यदि वह ठीक समझे तो, उन कारणों से, जो उसके द्वारा लेखबद्ध किए जाएँगे, वह या तो ऐसी जाँच या विचारण स्थगित कर सकता है या आदेश दे सकता है कि ऐसे अभियुक्त का मामला अलग से लिय जाए या विचारित किया जाए ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए अभियुक्त की वैयक्तिक उपस्थिति में श्रव्य-दृश्य साधनों के माध्यम से उपस्थिति भी सम्मिलित है ।

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