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Bnss धारा ३४६ : कार्यवाही को मुल्तवी या स्थगित करने की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३४६ :
कार्यवाही को मुल्तवी या स्थगित करने की शक्ति :
१) प्रत्येक जाँच या विचारण में, कार्यवाहियाँ सभी हाजिर साक्षियों की परीक्षा हो जाने तक दिन-प्रतिदिन जारी रखी जाएगी, जब तक कि ऐसे कारणों से , जो लेखबद्ध किए जाएँगे, न्यायालय उन्हें अगले दिन से परे स्थगित करना आवश्यक न समझे :
परन्तु जब जाँच या विचारण भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा ६४, धारा ६५, धारा ६६, धारा ६७, धारा ६८, धारा ७० या धारा ७१ के अधीन किसी अपराध से संबंधित है, तब जाँच या विचारण आरोपपत्र फाइल किए जाने की तारीख से दो मास की अवधि के भीतर पूरा किया जाएगा ।
२) यदि न्यायालय किसी अपराध का संज्ञान करने या विचारण के प्रारंभ होने के पश्चात् यह आवश्यक या उचित समझता है कि किसी जाँच या विचारण का प्रारंभ करना मुल्तवी कर दिया जाए या उसे स्थगित कर दिया जाए तो वह समय-समय पर ऐसे कारणों से,जो लेखबद्ध किए जाएँगे, ऐसे निबंधनों पर, जैसे वह ठीक समझे, उतने समय के लिए जितना वह उचित समझे उसे मुल्तवी या स्थगित कर सकता है और यदि अभियुक्त अभिरक्षा में है तो उसे वारण्ट द्वारा प्रतिप्रेषित कर सकता है :
परन्तु कोई न्यायालय किसी अभियुक्त को इस धारा के अधीन एक समय में पंद्रह दिन से अधिक की अवधि के लिए अभिरक्षा में प्रतिप्रेषित न करेगा :
परन्तु यह और कि जब साक्षी हाजिर हों तब उनकी परिक्षा किए बिना स्थगन या मुल्तवी करने की मंजूरी विशेष कारणों के बिना, जो लेखबद्ध किए जाएँगे, नहीं दी जाएगी :
परन्तु यह भी कि कोई स्थगन केवल इस प्रयोजन के लिए नहीं मंजूर किया जाएगा कि वह अभियुक्त व्यक्ति को उस पर अधिरोपित किए जाने के लिए प्रस्थापित दण्डादेश के विरुद्ध हेतुक दर्शित करने में समर्थ बनाए :
परन्तु यह भी कि-
(a) क) जहाँ परिस्थितियाँ उस पक्षकार के नियंत्रण के परे है, के सिवाय पक्षकार के अनुरोध पर कोई स्थगन मंजूर नहीं किया जाएगा;
(b) ख) जहां परिस्थितियां पक्षकार के नियंत्रण से बाहर है, न्यायालय द्वारा अन्य पक्षकारो के आक्षेपों की सुनवाई के पश्चात् और ऐसे कारणों से जो अभिलिखित किए जाए, दो से अनधिक स्थगन प्रदान किया जा सकेगा;
(c) ग) यह तथ्य कि किसी पक्षकार का अधिवक्ता किसी अन्य न्यायालय में लगा हुआ है, स्थगन का आधार नहीं होगा;
(d) घ) जहाँ कोई साक्षी न्यायालय में उपस्थित है परन्तु पक्षकार या उसका अधिवक्ता उपस्थित नहीं है अथवा पक्षकार या उसका अधिवक्ता यद्यपि न्यायालय में उपस्थित है, लेकिन साक्षी का परीक्षण या प्रतिपरिक्षण करने के लिए तैयार नहीं है, तब न्यायालय, यदि उचित समझता है, साक्षी की यथास्थिति मुख्य परिक्षा या प्रतिपरिक्षा को अभिमुक्त करते हुए साक्षी के कथन को अभिलिखित करेगा तथा ऐसे आदेश पारित कर सकेगा जैसा वह उचित समझे ।
स्पष्टीकरण १ :
यदि यह संदेह करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है कि हो सकता है कि अभियुक्त ने अपराध किया है और यह संभाव्य प्रतीत होता है कि प्रतिप्रेषण करने पर अतिरिक्त साक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है तो यह प्रतिप्रेषण के लिए एक उचित कारण होगा ।
स्पष्टीकरण २ :
जिन निबंधनों पर कोई स्थगन या मुल्तवी करना मंजूर किया जा सकता है, उनके अन्तर्गत समुचित मामलों में अभियोजन या अभियुक्त द्वारा खर्चों का दिया जाना भी है ।

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