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Bnss धारा २६६ : प्रतिरक्षा का साक्ष्य :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २६६ :
प्रतिरक्षा का साक्ष्य :
१) तब अभियुक्त से अपेक्षा की जाएगी कि वह अपनी प्रतिरक्षा आरंभ करे और अपना साक्ष्य पेश करे; और यदि अभियुक्त कोई लिखित कथन देता है तो मजिस्ट्रेट उसे अभिलेख में फाईल करेगा ।
२) यदि अभियुक्त अपनी प्रतिरक्षा आरंभ करने के पश्चात् मजिस्ट्रेट से आवेदन करा है कि वह परिक्षा या प्रतिरक्षा के, या कोई दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने के प्रयोजन से हाजिर होने के लिए किसी साक्षी को विवश करने के लिए कोई आदेशिका जारी करे तो, मजिस्ट्रेट ऐसी आदेशिका जारी करेगा जब तक उस का यह विचार न हो कि ऐसा आवेदन इस आधार पर नामंजूर कर दिया जाना चाहिए कि वह तंग करने के या विलंब करने के या न्याय के उद्देश्यों को विफल करने के प्रयोजन से किया गया है, और ऐसा कारण उसके द्वारा लेखबद्ध किया जाएगा :
परन्तु जब अपनी प्रतिरक्षा आरंभ करने के पूर्व अभियुक्त ने किसी साक्षी की प्रतिपरिक्षा कर ली है या उसे प्रतिपरिक्षा करने का अवसर मिल चुका है तब ऐसे साक्षी को हाजिर होन के लिए इस धारा के अधीन तब तक विवश नहीं किया जाएगा जब तक मजिस्ट्रेट का यह समाधान नहीं हो जाता है कि ऐसा करना न्याय के प्रयोजनों के लिए आवश्यक है :
परंतु यह और कि इस धारा के अधीन साक्षी की परीक्षा, राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने वाले अभिहित स्थान पर श्रव्य-दृश्य इलैक्ट्रानिक साधनों से की जा सकेगी ।
३) मजिस्ट्रेट उपधारा (२) के अधीन किसी आवेदन पर किसी साक्षी को समन करने के पूर्व यह अपेक्षा कर सकता है कि विचारण के प्रयोजन के लिए हाजिर होने में उस साक्षी द्वारा किए जाने वाले उचित व्यय न्यायालय में जमा कर दिए जाएँ ।

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