Site icon Ajinkya Innovations

Bnss धारा २४६ : किन व्यकियों पर संयुक्त रुप से आरोप लगाया जा सकेगा :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २४६ :
किन व्यकियों पर संयुक्त रुप से आरोप लगाया जा सकेगा :
निम्नलिखित व्यक्तियों पर एक साथ आरोप लगाया जा सकेगा और उनका एक साथ विचारण किया जा सकेगा, अर्थात् –
(a) क) वे व्यक्ति जिन पर एक ही संव्यवहार के अनुक्रम में किए गए एक ही अपराध का अभियोग (आरोप) है;
(b) ख) वे व्यक्ति जिन पर किसी अपराध का अभियोग है और वे व्यक्ति जिन पर ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण या प्रयत्न करने का अभियोग है;
(c) ग) वे व्यक्ति जिन पर बारह मास की अवधि के अन्दर संयुक्त रुप में उनके द्वारा किए गए धारा २४२ के अर्थ में एक ही किस्म के एक से अधिक अपराधों का अभियोग है ;
(d) घ) वे व्यक्ति जिन पर एक ही संव्यवहार के अनुक्रम किए गए भिन्न अपराधों का अभियोग है;
(e) ङ) वे व्यक्ती जिन पर ऐसे अपराध का, जिसके अन्तर्गत चोरी, उद्यापन, छल या आपराधिक दुर्विनियोग भी है, अभियोग है और वे व्यक्ति, जिन पर ऐसी संपत्ति को, जिसका कब्जा प्रथम नामित व्यक्तियों द्वारा किए गए किसी ऐसे अपराध द्वारा अन्तरित किया जाना अभिकथित है, प्राप्त करने या रखे रखने या उसके व्ययन या छिपाने में सहायता करने का या किसी ऐसे अंतिम नामित अपराध का दुष्प्रेरण या प्रयत्न करने का अभियोग है ;
(f) च) वे व्यक्ति जिन पर ऐसी चुराई हुई संपत्ति के बारे में,जिसका कब्जा एक ही अपराध द्वारा अन्तरित किया गया है, भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा ३१७ की उपधारा (२) और उपधारा (५) के, या उन धाराओं में से किसी के अधीन अपराधों का अभियोग है;
(g) छ) वे व्यक्ती जिन पर भारतीय न्याय संहिता २०२३ के अध्याय १० के अधीन कूटकृत सिक्के के संबंध में किसी अपराध का अभियोग है और वे व्यक्ति जिन पर उसी सिक्के के संबंध में उक्त अध्याय के अधीन किसी भी अन्य अपराध का या किसी ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण या प्रयत्न करने का अभियोग है, और इस अध्याय के पूर्ववर्ती भाग के उपबंध सब ऐसे आरोपों को यथाशक्य लागू होंगे :
परन्तु जहाँ अनेक व्यक्तियों पर पृथक् अपराधों का आरोप लगया जाता है और वे व्यक्ति इस धारा में विनिर्दिष्ट कोटियों में से किसी में नहीं आते है वहाँ मजिस्ट्रेट या सेशन न्यायालय ऐसे सब व्यक्तियों का विचारण एक साथ कर सकता है यदि ऐसे व्यक्ति लिखित आवेदन द्वारा ऐसा चाहते है और मजिस्ट्रेट या सेशन न्यायालय का समाधान हो जाता है कि उससे ऐसे व्यक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा और ऐसा करना समीचीन है ।

Exit mobile version