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Bnss धारा २४१ : सुभिन्न अपराधों के लिए पृथक् आरोप :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
(B) ख) – आरोपों का संयोजन :
धारा २४१ :
सुभिन्न अपराधों के लिए पृथक् आरोप :
१) प्रत्येक सुभिन्न अपराध के लिए, जिसका किसी व्यक्ति पर अभियोग है, पृथक् आरोप होगा और ऐसे प्रत्येक आरोप का विचारण पृथक्त: किया जाएगा :
परन्तु जहाँ अभियुक्त व्यक्ति, लिखित आवेदन द्वारा, ऐसा चाहता है और मजिस्ट्रेट की राय है कि उससे ऐसे व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा वहाँ मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति के विरुद्ध विरचित सभी या किन्हीं आरोपों का विचारण एक साथ कर सकता है ।
२)उपधारा (१) की कोई बात धारा २४२, २४३, २४४ और २४६ के उपबंधो के प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी ।
दृष्टांत :
(क) पर एक अवसर पर चोरी करने और दूसरे किसी अवसर पर घोर उपहति कारित करने का अभियोग है । चोरी के लिए और घोर उपहति कारित करने के लिए (क) पर पृथक-पृथक आरोप लगाने होंगे और उनका विचारण पृथक्त: करना होगा ।

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