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Bnss धारा २१० : मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान (विचारन) :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
अध्याय १४ :
कार्यवाहियाँ शुरु करने के लिए अपेक्षित शर्तें :
धारा २१० :
मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान (विचारन) :
१) इस अध्यायों के उपबंधो के अधीन रहते हुए, कोई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट और उपधारा (२) के अधीन विशेषतया सशक्त किया गया कोई द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट, किसी भी अपराध संज्ञान निम्नलिखित दशाओं में कर सकता है :-
(a) क) उन तथ्यों का, जिसमें किसी विशेष विधि के अधीन प्राधिकृत किए गए किसी व्यक्ति द्वारा दाखिल किया गया कोई परिवाद शामिल है, जिनसे ऐसा अपराध बनता है परिवाद प्राप्त होने पर;
(b) ख) ऐसे तथ्यों के बारे में पुलिस रिपोर्ट पर (इलैक्ट्रानिक रीति सहित किसी रीति में प्रस्तुत);
(c) ग) पुलिस अधिकारी से भिन्न किसी व्यक्ति से प्राप्त इस इत्तिला पर या स्वयं अपनी इस जानकारी परा कि ऐसा अपराध किया गया है ।
२) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट को ऐसे अपराधों का, जिनकी जाँच या विचारण करना उसकी क्षमता के अन्दर है, उपधारा (१) के अधीन संज्ञान करने के लिए सशक्त कर सकता है ।

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