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Bnss धारा १७५ : संज्ञेय मामले का अन्वेषण करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १७५ :
संज्ञेय मामले का अन्वेषण करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति :
१) कोई पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश बिना किसी ऐसे संज्ञेय मामले का अन्वेषण कर सकता है, जिसकी जाँच या विचारण करने की शक्ति उस थाने की सीमाओं के अन्दर के स्थानीय क्षेत्र पर अधिकारिता रखने वाले न्यायालय को अध्याय १३ के उपबंधो के अधीन है :
परन्तु संज्ञेय अपराध की प्रकृति और गंभीरता पर विचार करते हुए, पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक से मामले का अन्वेषण करने के लिए अपेक्ष कर सकेगा ।
२) ऐसे किसी मामले में पुलिस अधिकारी की किसी कार्यवाही को किसी भी प्रक्रम में इस आधार पर प्रश्नगत न किया जाएगा कि वह मामला ऐसा था जिसमें ऐसा अधिकारी इस धारा के अधीन अन्वेषण करने के लिए सशक्त न था ।
३) धारा २१० के अधीन, सशक्त कोई मजिस्ट्रेट धारा १७३ की उपधारा (४) के अधीन किए गए शपथ पत्र द्वारा समर्थित आवेदन पर विचार करने के पश्चात् और ऐसी जांच, जो वह आवश्यक समझे, किए जाने के पश्चात् तथा इस संबंध में पुलिस अधिकारी द्वारा किए गए निवेदन पर पूर्वोक्त प्रकार के अन्वेषण का आदेश कर सकता है ।
४) धारा २१० के अधीन, सशक्त कोई मजिस्ट्रेट लोक सेवक के विरुद्ध परिवाद की प्राप्ति पर जो अपने शासकीय कर्तव्यों के दौरान उत्पन्न हुआ हो, निम्न के अध्यधीन-
(a) क) उसके वरिष्ठ अधिकारी से घटना के तथ्यों और परिस्थितियों को अंतर्विष्ट करने वाली रिपोर्ट की प्राप्ति; और
(b) ख) लोक सेवक द्वारा किए गए प्रख्यानों जो ऐसी स्थिति की बारे में है जिससे यह घटना अभिकथित हुई, पर विचार करने के पश्चात्, संज्ञान ग्रहण कर सकेगा ।

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