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Bnss धारा १६० : आदेश अंतिम कर दिए जाने पर प्रक्रिया और उसकी अवज्ञा के परिणाम :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १६० :
आदेश अंतिम कर दिए जाने पर प्रक्रिया और उसकी अवज्ञा के परिणाम :
१) जब धारा १५५ या धारा १५७ के अधीन आदेश अंतिम कर दिया जाता है तब मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति को, जिसके विरुद्ध वह आदेश दिया गया है, उसकी सूचना देगा और उससे यह भी अपेक्षा करेगा कि वह उस आदेश द्वारा निर्दिष्ट कार्य इतने समय के अन्दर करे, जितना सूचना में नियत किया जाएगा और उसे इत्तिला देगा कि अवज्ञा करने पर वह भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा २२३ द्वारा उपबंधित शास्ति का भागी होगा ।
२) यदि ऐसा कार्य नियत समय के अंदर नहीं किया जाता है तो मजिस्ट्रेट उसे करा सकता है और उसके किए जाने में हुए खर्चों को किसी भवन, माल या अन्य संपत्ति के, जो उसके आदेश द्वारा हटाई गई है, विक्रय द्वारा अथवा ऐसे मजिस्ट्रेट की स्थानीय अधिकारिता के अन्दर या बाहर स्थित उस व्यक्ति की अन्य जंगम संपत्ति के करस्थम और विक्रय द्वारा वसूल कर सकता है और यदि ऐसी अन्य संपत्ति ऐसी अधिकारिता के बाहर है तो उस आदेश से ऐसी कुर्की और विक्रय तब प्राधिकृत होगा जब वह उस मजिस्ट्रेट द्वारा पृष्ठांकित कर दिया जाता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर कुर्क की जाने वाली संपत्ति पाई जाती है ।
३) इस धारा के अधीन सद्भावपूर्वक की गइ किसी बात के बारे में कोई वाद न होगा ।

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