भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ८८ :
कुर्क की हुई संपत्ति को निर्मुक्त करना, विक्रय और वापस करना :
१) यदि उद्घोषित व्यक्ति उद्घोषणा में विनिर्दिष्ट समय के अंदर हाजिर हो जाता है तो न्यायालय संपत्ति को कुर्की से निर्मुक्त करने का आदेश देगा ।
२) यदि उद्घोषित व्यक्ति उद्घोषणा में विनिर्दिष्ट समय के अंदर हाजिर नहीं होता है तो कुर्क संपत्ति, राज्य सरकार के व्ययनधीन रहेगी और उसका विक्रय कुर्की की तारीख से छह मास का अवसान हो जाने पर तथा धारा ८७ के अधीन एि गए किसी दावे या आपत्ति का उस धारा के अधीन निपटारा हो जाने पर ही किया जा सकता है किन्तु यदी वह शीघ्रतया और प्रकृत्या क्षयक्षील है या न्यायालय के विचार में विक्रय करना स्वामी के फायदे के लिए होगा तो इन दोनों दशाओं में से किसी में भी न्यायालय, जब कभी ठीक समझे, उसका विक्रय करा सकता है ।
३) यदि कुर्की की तारीख से दो वर्ष के अंदर कोई व्यक्ती, जिसकी संपत्ति उपधारा (२) के अधीन राज्य सरकार के व्ययनाधीन है या रही है, उस न्यायालय के समक्ष, जिसके आदेश से वह संपत्ति कुर्क की गई थी या उस न्यायालय के समक्ष, जिसके ऐसे न्यायालय अधीनस्थ है, स्वेच्छा से हाजिर हो जाता है या पकडकर लाया जाता है और उस न्यायालय को समाधानप्रद रुप में यह साबित कर देता है कि वह वारण्ट के निष्पादन से बचने के प्रयोजन से फरार नहीं हुआ या नहीं छिपा और यह कि उसे उद्घोषणा की ऐसी सूचना नहीं मिली थी जिससे वह उसमें विनिर्दिष्ट समय के अन्दर हाजिर हो सकता तो ऐसी संपत्ति का, या यदि वह विक्रय कर दी गई है तो विक्रय के शुद्ध आगमों का, या यदि उसका केवल कुछ भाग विक्रय किया गया है तो ऐसे विक्रय के शुद्ध आगमों और अवशिष्ट संपत्ति का, कुर्की के परिणाम स्वरुप उपगत सब खर्चों को उसमें से चुका कर, उसे परिदान कर दिया जाएगा ।