भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ८७ :
कुर्की के बारे दावे और आपत्तियाँ :
१) यदि धारा ८५ के अधीन कुर्क की गई किसी संपत्ति के बारे में उस कुर्की की तारीख से छह मास के भीतर कोई व्यक्ती, जो उद्घोषित व्यक्ति से भिन्न है, इस आधार पर दावा या उसके कुर्क किए जाने पर आपत्ति करता है कि दावेदार या आपत्तिकर्ता का उस संपत्ति में कोई हित है और ऐसा हित धारा ८५ के अधीन कुर्क नहीं किया जा सकता तो उस दावे या आपत्ति की जाँच की जाएगी, और उसे पूर्णत: या भागत: मंजूर या नामजूंर किया जा सकता है :
परन्तु इस उपधारा द्वारा अनुज्ञात अवधि के अन्दर किए गए किसी दावे या आपत्ति को दावेदार या आपत्तिकर्ता की मृत्यु हो जाने की दशा में उसके विधिक प्रतिनिधि द्वारा चालू रखा जा सकता है ।
२) उपधारा (१) के अधीन दावे या आपत्तियाँ उस न्यायालय में, जिसके द्वारा कुर्की का आदेश जारी किया गया है, या यदि दावा या आपत्ति ऐसी संपत्ति के बारे में है जो धारा ८५ की उपधारा (२) के अधीन पृष्ठांकित आदेश के अधीन कुर्क की गई है तो, उस जिले के, जिसमें कुर्की की जाती है मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में की जा सकती है ।
३) प्रत्येक ऐसे दावे या आपत्ति की जाँच उस न्यायालय द्वारा की जाएगी जिसमें वह किया गया या की गई है :
परन्तु यदि वह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में किया गया या की गई है तो वह उसे निपटारे के लिए अपने अधीनस्थ किसी मजिस्ट्रेट को दे सकता है ।
४) कोई व्यक्ती, जिसके दावे या आपत्ति को उपधारा (१) के अधीन आदेश द्वारा पूर्णत: या भागत: नामंजूर कर दिया गया है, ऐसे आदेश की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर, उस अधिकार को सिद्द करने के लिए , जिसका दावा वह विवादग्रस्त संपत्ति के बारे में करता है, वाद संस्थित कर सकता है; किन्तु वह आदेश ऐसे वाद के, यदि कोई हो, परिणाम के अधीन रहते हुए निश्चायक होगा ।