भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ५२५ :
वह मामला जिसमें न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट वैयक्तिक रुप से हितबद्ध है :
कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट किसी ऐसे मामले का, जिसमें वह पक्षकार है, या वैयक्तिक रुप से हितबद्ध है, उस न्यायालय की अनुज्ञा के बिना, जिसमें उसके न्यायालय से अपील होती है न तो विचारण करेगा और न उसे विचारणार्थ सुपुर्द करेगा और न कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट अपने द्वारा पारित या किए गए निर्णय या आदेश की अपील ही सुनेगा ।
स्पष्टीकरण :
कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट किसी मामले में केवल इस कारण से कि वह उससे सार्वजनिक हैसियत में संबद्ध है या केवल इस कारण से कि उसने उस स्थान का, जिसमें अपराध का होना अभिकथित है, या किसी अन्य स्थान का, जिसमें मामलो के लिए महत्वपूर्ण किसी अन्य संव्यवहार का होना अभिकथित है, अवलोकन किया है और उस मामले के संबंध में जाँच की है इस धारा के अर्थ में पक्षकार या वैयक्ति रुप से हितबद्ध न समझा जाएगा ।