भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४७३ :
दण्डादेशों का निलम्बन या परिहार करने की शक्ति :
१) जब किसी व्यक्ती को किसी अपराध के लिए दण्डादेश दिया जाता है तब समुचित सरकार किसी समय, शर्तों के बिना या ऐसी शर्तों पर जिन्हें दण्डादिष्ट व्यक्ति स्वीकार करे उसके दण्डादेश के निष्पादन का निलंबन या जो दण्डादेश उसे दिया गया है उसका पूरे का या उसके किसी भाग का परिहार कर सकती है ।
२) जब कभी समुचित सरकार के दण्डादेश के निलम्बन या परिहार के लिए आवेदन किया जाता है तब समुचित सरकार उस न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश से, जिसके समक्ष दोषसिद्धि हुई थी या जिसके द्वारा उसकी पुष्टि की गई थी, अपेक्षा कर सकेगी कि वह इस बारे में कि आवेदन मंजूर किया जाए या नामंजूर किया जाए, अपनी राय, ऐसी राय के लिए अपने कारणों सहित कथित करे और अपनी राय के कथन के साथ विचारण के अभिलेख की या उसके ऐसे अभिलेख की, जैसा विद्यमान हो, प्रमाणित प्रतिलिपि भी भेजे ।
३) यदि कोई शर्त, जिस पर दण्डादेश का निलम्बन या परिहार किया गया है, समुचित सरकार की राय में पूरी नहीं हुई है तो समुचित सरकार निलम्बन या परिहार को रद्द कर सकती है और तब, यदि वह व्यक्ति, जिसके पक्ष में दण्डादेश का निलम्बन या परिहार किया गया था मुक्त है तो वह किसी पुलिस अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना गिरफ्तार किया जा सकता है और दण्डादेश के अनवसित भाग को भोगने के लिए प्रतिप्रेषित किया जा सकता है ।
४) वह शर्त, जिस पर दण्डादेश का निलम्बन या परिहार इस धारा क अधीन किया जाए, ऐसी हो सकती है जो उस व्यक्ति द्वारा, जिसके पक्ष में दण्डादेश का निलम्बन या परिहार किया जाए, पूरी की जाने वाली हो या ऐसी हो सकती है जो उसकी इच्छा पर आश्रित न हो ।
५) समुचित सरकार दण्डादेशों के निलम्बन के बारे में, और उश्र शर्तो के बारे में जिन पर अर्जियाँ उपस्थित की और निपटाई जानी चाहिए, साधारण नियमों या विशेष आदेशों द्वारा निदेश दे सकती है :
परन्तु अठारह वर्ष से अधिक की आयु के किसी व्यक्ति के विरुद्ध किसी दण्डादेश की दशा में (जो जुर्माने के दण्डादेश से भिन्न है) दण्डादिष्ट व्यक्ति द्वारा या उसकी और से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई कोई ऐसी अर्जी तब तक ग्रहण नहीं की जाएगी जब तक दण्डादिष्ट व्यक्ति जेल में न हो, तथा –
(a) क)जहाँ ऐसी अर्जी दण्डादिष्ट व्यक्ति द्वारा दी जाती है वहाँ जब तक वह जेल के भारसाधक अधिकारी की मार्फत उपस्थित न की जाए, अथवा
(b) ख)जहाँ ऐसी अर्जी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी जाती है वहाँ जब तक उसमें यह घोषणा न हो कि दण्डादिष्ट व्यक्ति जेल में है ।
६) ऊपर की उपधाराओं के उपबंध दण्ड न्यायालय द्वारा इस संहिता की या किसी अन्य विधि की किसी धारा के अधीन पारित ऐसे आदेश को भी लागू होंगे जो किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को निर्बंधित करता है या उस पर या उसकी संपत्ति पर कोई दायित्व अधिरोपित करता है ।
७) इस धारा में और धारा ४७५ में समचित सरकार पद से –
(a) क) उन दशाओं में जिनमें दण्डादेश ऐसे विषय से संबद्ध किसी विधि के विरुद्ध अपराद के लिए है या उपधारा (६) में निर्दिष्ट आदेश ऐसे विषय से संबद्ध किसी विधि के अधीन पारित किया गया है, जिस विषय पर संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है, केन्द्रीय सरकार, अभिप्रेत है;
(b) ख) अन्य दशाओं में, उस राज्य की सरकार अभिप्रेत है जिसमें अपराधी दण्डादिष्ट किया गया है या उक्त आदेश पारित किया गया है ।