भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४०४ :
अभियुक्त और अन्य व्यक्तियों को निर्णय की प्रति का दिया जाना :
१) जब अभियुक्त को कारावास का दण्डादेश दिया जाता है तब निर्णय के सुनाए जाने के पश्चात् निर्णय की एक प्रति उसे नि:शुल्क तुरन्त दी जाएगी ।
२) अभियुक्त के आवेदन पर, निर्णय की एक प्रमाणित प्रति या जब वह चाहे तब, यदि संभव है तो उसकी भाषा में या न्यायालय की भाषा में उसका अनुवाद, अविलम्ब उसे दिया जाएगा और जहाँ निर्णय की अभियुक्त द्वारा अपील हो सकती है वहाँ प्रत्येक दशा में ऐसी प्रति नि:शुल्क दी जाएगी :
परन्तु जहाँ मृत्यु का दण्डादेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित या पुष्ट किया जाता है वहाँ निर्णय की प्रमाणित प्रति अभियुक्त को तुरंत नि:शुल्क दी जाएगी चाहे वह उसके लिए आवेदन करे या न करे ।
३) उपधारा (२) के उपबंध धारा १३६ के अधीन आदेश के सम्बन्ध में उसी प्रकार लागू होंगे जैसे वे उस निर्णय के सम्बन्ध में लागू होते है जिसकी अभियुक्त अपील कर सकता है ।
४) जब अभियुक्त को किसी न्यायालय द्वारा मृत्यु दण्डादेश दिया जाता है और ऐसे निर्णय से साधिकार अपील होती है तो न्यायालय उसे उस अवधि की जानकारी देगा जिसके भीतर यदि वह चाहे तो अपील कर सकता है ।
५) उपधारा (२) में जैसा उपबंधित है उसके सिवाय किसी दाण्डिक न्यायालय द्वारा पारित निर्णय या आदेश द्वारा प्रभावित व्यक्ति को, इस निमित्त आवेदन करने पर और विहित प्रभार देने पर ऐसे निर्णय या आदेश की या किसी अभिसाक्ष्य की या अभिलेख के अन्य भाग की प्रति दी जाएगी :
परन्तु यदि न्यायालय किन्हीं विशेष कारणों से ठीक समझता है तो उसे वह नि:शुल्क भी दे सकता है :
परन्तु यह और कि न्यायालय राज्य सरकार को अभियोजन अधिकारी द्वारा इस निमित्त किए गए आवेदन पर ऐसे निर्णय, आदेश, अभिसाक्ष्य या अभिलेख की विहित पृष्ठांकन सहित, सत्यापित प्रति नि:शुल्क उपलब्ध कराएगा।
६) उच्च न्यायालय नियमों द्वारा उपबंध कर सकता है कि किसी दाण्डिक न्यायालय के किसी निर्णय या आदेश की प्रतियाँ ऐसे व्यक्ति को, जो निर्णय या आदेश द्वारा प्रभावित न हो उस व्यक्ति द्वारा ऐसी फिस दिए जाने पर और ऐसी शर्तों के अधीन दे दी जाए जो उच्च न्यायालय ऐसे नियमों द्वारा उपबंधित करे ।