भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३९६ :
पीडित प्रतिकर योजना :
१) प्रत्येक राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार के समन्वय से, पीडित या उसके आश्रितों को, जिनको अपराध के पणिणामस्वरुप हानि या क्षति पहुँची है तथा जिन्हें पुनर्वास की आवश्यकता है, को प्रतिकर प्रदान करने के प्रयोजन के लिए निधि के लिए योजना तैयार करेगी ।
२) जब कभी न्यायालय द्वारा प्रतिकर के लिये सिफारिश की जाती है, तो यथास्थिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उपधारा (१) में निर्दिष्ट योजना के अधीन अधिनिर्णीत किये जाने वाले प्रतिकर की मात्रा का विनिश्चिय करेगा ।
३) विचारण की समाप्ति पर, यदि विचारण न्यायालय का समाधान हो जाता है कि धारा ३९५ के अधीन अधिनिर्णीत किया जाने वाला प्रतिकर ऐसे पुनर्वास के लिए पर्याप्त नहीं है या जहाँ मामले का अन्त दोषमुक्ति या उन्मोचन में होता है तथा पीडित का पुनर्वास किया जाना होता है, यह प्रतिकर के लिए सिफारिश कर सकेगा ।
४) जहाँ अपराधी का पता नहीं चलता या उसकी शिनाख्त नहीं हो पाती किन्तु पीडित की शिनाख्त हो जाती है, विचारण नहीं होता है तो पीडित या उसके आश्रित राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रतिकर का अधिनिर्णय करने के लिए आवेदन कर सकतें है ।
५) ऐसी सिफारीश के प्राप्त होने पर या उपधारा (४) के अधीन आवेदन पर, राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सम्यक् जाँच के पश्चात्, दो माह के अन्दर जाँच पूरी कर पर्याप्त प्रतिकर अधिनिर्णीत करेगा ।
६) यथास्थिति, राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पीडित की यातना को कम करने के लिए तुरन्त प्राथमिक चिकिस्ता सुविदा या चिकित्सीय लाभ के लिए आदेश कर सकता है जो कि थाने के भारसाधक अधिकारी से अनिम्न श्रेणी के पुलिस अधिकारी या सम्बन्धित क्षेत्र के मजिस्ट्रेट के प्रमाण पत्र पर मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी या कोई अन्तरिम अनुतोष जो समुचित प्राधिकरण उचित समझता है ।
७) इस धारा के अधीन राज्य सरकार द्वारा संदेय प्रतिकर भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा ६५, धारा ७० या धारा १२४ की उपधारा (१) के अधीन पीडिता को जुर्माने का संदाय किए जाने के अतिरिक्त होगा ।