भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३९५ :
प्रतिकर देने का आदेश :
१) जब कोई न्यायालय जुर्माने का दण्डादेश देता है या कोई ऐसा दण्डादेश (जिसके अन्तर्गत मृत्यु दण्डादेश भी है) देता है जिसका भाग जुर्माना भी है, तब निर्णय देते समय वह न्यायालय यह आदेश दे सकता है कि वसूल किए गए सब जुर्माने या उसके किसी भाग का उपयोजन –
(a) क) अभियोजन में उचित रुप से उपगत व्ययों को चुकाने में किया जाए;
(b) ख) किसी व्यक्ति को उस अपराध द्वारा हुई किसी हानि या क्षति का प्रतिकर देने में किया जाए, यदि न्यायालय की राय में ऐसे व्यक्ति द्वारा प्रतिकर सिविल न्यायालय में वसूल किया जा सकता है;
(c) ग) उस दशा में, जब कोई व्यक्ती किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु कारित करने के, या ऐसे अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करन के लिए दोषसिद्ध किया जाता है, उन व्यक्तियों को, जो ऐसी मृत्यु से अपने को हुई हानि के लिए दण्डादिष्ट व्यक्ति से नुकसानी वसुल करने के लिए घातक दुर्घटना अधिनियम, १८५५ (१८५५ का १३) के अधीन हकदार है, प्रतिकर देने में किया जाए;
(d) घ) जब कोई व्यक्ती, किसी अपराध के लिए, जिसके अन्तर्गत चोरी, आपराधिक दुर्विनियोग, आपराधिक न्यासभंग या छल भी है, या चुराई हुई संपत्ति को उस दशा में जब वह यह जानता है या उसको यह विश्वास करने का कारण है कि वह चुराई हुई है बेईमानी से प्राप्त करेन या रखे रखने के लिए या उसके व्ययन में स्वेच्छया सहायता करने के लिए, दोषसिद्ध किया जाए, तब ऐसी संपत्ति के सद्भावणापूर्ण क्रेता को, ऐसी संपत्ति उसके हकदार व्यक्ति के कब्जे में लौटा दी जाने की दशा में उसकी हानि के लिए प्रतिकर देने में किया जाए ।
२) यदि जुर्माना ऐसे मामले में किया जाता है जो अपीलनीय है तोऐसा कोई संदाय, अपील उपस्थित करने के लिए अनुज्ञात अवधि के बीत जाने से पहले या यदि अपील उपस्थित की जाती है तो उसके विनिश्चय के पूर्व, नहीं किया जाएगा ।
३) जब न्यायालय ऐसा दण्ड अधिरोपित करता है जिसका भाग जुर्माने नहीं है तब न्यायालय निर्णय पारित करते समय, अभियुक्त व्यक्ति को यह आदेश दे सकता है कि उस कार्य के कारण जिसके लिए उसे ऐसा दण्डादेश दिया गया है, जिस व्यक्ति को कोई हानि या क्षति उठानी पडी है, उसे वह प्रतिकर के रुप में इतनी रकम दे जितन आदेश में विनिर्दिष्ट है ।
४) इस धारा के अधीन आदेश, अपील न्यायालय द्वारा या उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय द्वारा भी किया जा सकेगा जब वह अपनी पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग कर रहा हो ।
५) उसी मामले से संबंधित किसी पश्चात्वर्ती सिविल वाद में प्रतिकर अधिनिर्णीत करते समया न्यायालय ऐसी किसी राशि को, जो इस धारा के अधीन प्रतिकर के रुप में दी गई है या वसूल की गई है, हिसाब में लेगा ।