भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३८४ :
अवमान (अपमान / तौहिन ) के कुछ मामलों में प्रक्रिया :
१) जब कोई ऐसा अपराध, जैसा भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा २०९, धारा २११, धारा २१२, धारा २१३ या धारा २६५ में वर्णित है, किसी सिविल, दण्ड या राजस्व न्यायालय की दृष्टिगोचरता या उपस्थिति में किया जाता है तब न्यायालय अभियुक्त को अभिरक्षा में निरुद्ध करा सकता है और उसी दिन न्यायालय के उठने के पूर्व किसी समय, अपराध का संज्ञान है और अपराधी को ऐसा कारण दर्शित करने का, कि क्यों न उसे इस धारा के अधीन दण्डित किया जाए, उचित अवसर देने के पश्चात् अपराधी को दौ सौ रुपए से अनधिक जुर्माने का और जुर्माना देने से व्यतिक्रम होने पर एक मास तक की अवधि के लिए, जब तक कि ऐसा जुर्माना उससे पूर्वतर न दे दिया जाए, सादा कारावास का दण्डादेश दे सकता है ।
२) ऐसे प्रत्येक मामले में न्यायालय वे तथ्य जिनसे अपराध बनाता है, अपराधी द्वारा किए गए कथन के (यदि कोई हो) सहित, तथा निष्कर्ष और दण्डादेश भी अभिलिखित करेगा ।
३) यदि अपराध भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा २६५ के अधीन है तो अभिलेख में यह दर्शित होगा कि जिस न्यायालय के कार्य में विघ्न डाला गया था या जिसका अपमान किया गया था, उसकी बैठक किस प्रकार की न्यायिक कार्यवाही के संबंध में और उसके किस प्रक्रम पर हो रही थी और किस प्रकार का विघ्न डाला गया या अपमान किया गया था ।